ग्वालियर
महाशिवरात्रि के पावन योग में लोगों को परेशानियों से छुटकारा दिलाने के लिए बहोडापुर स्थित बालाजी धाम काली माता मंदिर के प्रांगण में तीन दिवसीय विशेष पूजा-अर्चना कराई जाएगी। दोषों का निवारण करने वाली इस पूजा को शहर तथा उज्जैन और बनारस से आने वाले 51 वैदिक ब्राह्मण संपन्न कराएंगे। इनमें 11 वैदिक ब्राह्मण मंच पर विराजमान होंगे। जो मंत्रोचार के साथ पूजा कराने के निर्देश देंगे।
बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य डॉ. सतीश सोनी के अनुसार इस बार महाशिवरात्रि पर ब्रह्मांड में भी कालसर्प दोष निष्पादित हो रहा है। ऐसे समय मैं पीड़ित भक्त यदि कालसर्प दोष का निवारण व अनुष्ठान कराते हैं। तो वह सर्वश्रेष्ठ रहेगा। इसके साथ ही बारहवें भाव में मकर राशि में पंच ग्रह योग रहेगा। मंगल, शुक्र, बुध, और शनि के साथ चंद्रदेव विराजित होंगे। लग्न में कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति रहेगी। चतुर्थ भाव में राहु वृषभ राशि में जबकि केतु दसवें भाव में वृश्चिक राशि में रहेंगे। ऐसे समय में अनुष्ठान पूजा भक्तों को समस्त मनोकामना पूर्ण कराने वाला होगा। मंदिर प्रांगण मैं पूजा 28 फरवरी से प्रारंभ होकर 2 मार्च तक चलेगी। पूजा में सम्मिलित होने के लिए मंदिर समिति द्वारा पंजीयन प्रारंभ कर दिए गए हैं। यह पूजा सुबह 9:00 से शाम 6:00 बजे तक चलेगी। इस दौरान चाय, नाश्ता, और भोजन की व्यवस्था भी रहेगी। पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री मंदिर समिति द्वारा भक्तों को उपलब्ध कराई जावेगी। महाशिवरात्रि महोत्सव के अवसर पर कालसर्प दोष, मंगल दोष, पितृदोष, चांडाल दोष, नवग्रह शांति आदि की पूजा पाठ होगी साथ ही भोलेनाथ का दिव्य महा रुद्राभिषेक भी किया जाएगा। पूजा पाठ का पावन कर्म 3 दिन तक चलेगा।
12 प्रकार के कालसर्प दोषों का होगा निवारण
बालाजी धाम काली माता मंदिर में होने वाले तीन दिवसीय पूजा पाठ के दौरान भक्तों के 12 प्रकार के कालसर्प दोषो का निवारण किया जाएगा। पूजा के दौरान चांदी के 12 जोड़े नाग नागिन का पूजन कर भक्तों को दे दिए जाएंगे। वही पूजा के अंतिम समय में जौ के आटे के नाग नागिन बनाकर और उनका पूजन करके जनक ताल स्थित विशाल पीपल के पेड़ के नीचे दाह संस्कार कर जनक ताल में विसर्जन किया जाएगा। यह पूरी प्रक्रिया जनक ताल पर ही संपन्न कराई जाएगी।

