भोपाल
शहरी स्वच्छता में इंदौर के सिरमौर बने होने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में चलाए जा रहे स्वच्छता अभियान में भी राज्य सरकार ऐसी ही सफलता हासिल करने की टर्मिनोलाजी पर काम कर रही है। इसीलिए कोरोना काल में जब प्रदेश में निर्माण कार्यों की रफ्तार थम सी गई थी तो भी गांवों में व्यक्तिगत शौचालय बनाने का काम ग्रामीणों से सीधा संपर्क कराया गया। इसका असर यह हुआ कि दो साल में 3.33 लाख से अधिक व्यक्तिगत शौचालय गांवों में बने हैं और पौने पांच हजार गांव ओडीएफ प्लस घोषित हुए हैं।
यह वही दौर था जब गांवों में कोरोना के मरीज तेजी से बढ़े थे और हालात यह थे कि हजारों ग्रामीण कोरोना से प्रभावित होने के बाद स्थानीय कोविड केयर सेंटरों में रुकने को मजबूर हुए थे। स्वच्छ भारत मिशन में ओडीएफ सस्टेनिबिलिटी के लिए कराई जा रही प्रक्रिया के अंतर्गत वर्ष 2020-21 में 80674 शौचालय बनवाए गए। मार्च 2020 से शुरू हुई कोरोना लहर के बावजूद ग्रामीणों से संवाद के जरिये इस काम को पूरा कराया गया। इसके बाद 2021-22 में नौ माह के अंतराल में भय की वजह बनी कोरोना की दूसरी और तीसरी लहर में भी इस काम को रोका नहीं गया और एक साल में 2.50 लाख शौचालयों का निर्माण ग्रामीणों के घरों में कराया गया है।
पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग की मानीटरिंग के जरिये हो रहे इन कामों में सीएससी में कराए जाने वाले कामों को भी सपोर्ट मिला है। वर्ष 2020-21 में 7175 और 21-22 में 4849 सीएससी में स्वच्छता के काम हुए हैं। प्रदेश की 4326 पंचायतों में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन कराकर भी गांवों को स्वच्छ रखने का काम हुआ है।
4852 गांव ओडीएफ प्लस
स्वच्छ भारत मिशन में ग्रामीण परिवेश को गांव को साफ सुथरा करने की नीति में 4852 गांवों को ओडीएफ प्लस इन्हीं दो सालों में किया गया है। इसके लिए सरकार ने कम्पोस्टिंग, कम्युनिटी सोकपिट, व्यक्तिगत सोकपिट, सैग्रीगेशन सैड के काम भी कराए हैं और गांवों को इसके लिए प्रेरित करने का काम किया गया है।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर जोर
गांवों को स्वच्छ बनाने के लिए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और गांवों से पशुओं के पालने पर निकलने वाले गोबर से गोबर गैस संयंत्र लगाने व अन्य कार्यों के जरिये स्वच्छता बढ़ाने पर भी फोकस किया गया है। इसके लिए सरकार द्वारा केंद्र सरकार को आगामी वित्त वर्ष की नवीन कार्ययोजना भी भेजी गई है जिसके मंजूर होते ही इस पर भी काम शुरू हो जाएगा।

