Tuesday, December 23

एक से ज्यादा नेता संभाल सकते हैं UP कांग्रेस की कमान, आचार्य प्रमोद कृष्णम समेत ये नाम आगे

एक से ज्यादा नेता संभाल सकते हैं UP कांग्रेस की कमान, आचार्य प्रमोद कृष्णम समेत ये नाम आगे


लखनऊ
अजय कुमार लल्लू के इस्तीफे के बाद से खाली पड़ी उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कुर्सी अभी तक खाली ही है। अब खबर है कि पार्टी यूपी में एक से ज्यादा नेताओं को UPCC (उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी) की कमान सौंप सकती है। खास बात है कि 13 मई से राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस का चिंतन शिविर शुरू हो रहा है। ऐसे में अध्यक्ष नहीं होने के चलते साफ नहीं है कि बैठक में यूपी का प्रतिनिधि कौन बनेगा। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महज 2 सीटें ही मिल सकी थी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में पार्टी सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि आने वाले हफ्तों में अध्यक्ष को लेकर फैसला हो सकता है। उन्होंने बताया कि पार्टी एक से ज्यादा नेता को नेतृत्व सौंप सकती है।

रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया, 'यूपी जैसे राज्य के लिए कोई भी एक व्यक्ति अकेले दोबारा तैयार होने की जिम्मेदारी नहीं संभाल सकता। इसलिए नई संगठनात्मक व्यवस्था की जाएगी, ताकि जिम्मेदारी बट सके और पदों का क्रम भी बना रहे। यूपी में जातिगत चीजें भी हैं। इसके चलते समय लगा रहा है, लेकिन हमें उम्मीद है कि पार्टी चिंतन शिविर से पहले नए प्रमुख का फैसला कर लेगी और अगर ऐसा नहीं होता है तो नए संगठन व्यवस्था बनने तक कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होगा।'

कौन-कौन हैं अध्यक्ष पद की दौड़ में आगे?
अखबार के मुताबिक, पार्टी के एक वर्ग की तरफ से नेतृत्व की भूमिकाओं के लिए कुछ नामों का सुझाव दिया गया है। इनमें पूर्व सांसद और रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट पीएल पुनिया, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री और पार्टी के दो विधायकों में से एक वीरेंद्र चौधरी का नाम शामिल है। इसके अलावा कुछ लोगों ने बड़े पद के लिए आचार्य प्रमोद कृष्णम का नाम भी आगे किया है। कांग्रेस के एक अन्य नेता ने कहा, 'पिछले अध्यक्ष बहुत मेहनती थे और उन्होंने पहले कई मुश्किलों के बीच अपनी सीट जीती थी। लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान कैडर को उनका नेतृत्व स्वीकार करने में परेशानी हुई। कैडर के गठन को लेकर बड़े-बड़े दावों के बावजूद नतीजे दिखाते हैं कि जमीन पर कोई भी नहीं था। अगर इन चीजों को बदलना है, तो केवल कैडर की तरफ से स्वीकार्य प्रमुख नेता की नहीं, बल्कि ऐसे लीडर की जरूरत है जो दूसरों को साथ लेकर चले और फैसले ले सके।'

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