बॉन्ड वाले डॉक्टर्स की भर्ती नियम बदलेगी सरकार, जल्द ही कैबिनेट में लाया जाएगा प्रस्ताव
अब प्रदेश में है शासकीय और निजी कुल मिलाकर 52 मेडिकल कॉलेज
प्रदेश के एक जिले को मेडिकल टूरिज्म हब के रूप में विकसित करने की तैयारी
पन्ना, बैतूल, कटनी और धार में बनेंगे नए मेडिकल कालेज, भूमिपूजन जल्द ही
भोपाल
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में आमूलचूल परिवर्तन लाना ही सरकार की मंशा है। स्वास्थ्य सेवाओं के आधुनिकीकरण और चिकित्सा शिक्षा के व्यापक विस्तार के लिए सरकार बहुस्तरीय सुधार लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अधिकाधिक नागरिकों को आयुष्मान योजना का लाभ दिलाया जाए। ऐसे अस्पताल या डॉक्टर आयुष्मान योजना के तहत इलाज नहीं करते हैं या इस योजना में इम्पैनल्ड नहीं है, उन्हें भी इस योजना से जोड़ा जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉक्टर्स की आपूर्ति के लिए विभाग भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाए। यह प्रयास किया जाए कि फील्ड में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के संचालन के लिए निजी चिकित्सकों की भी सेवाएं ली जाए। इसके लिए उन्हें कॉल पर बुलाने के अलावा अच्छा मानदेय (इन्सेंटिव) भी दिया जाए। उन्होंने कहा कि चिकित्सा शिक्षा ग्रहण कर रहे ऐसे विद्यार्थी, जिनकी फीस सरकार द्वारा अदा की जा रही है, ऐसे बॉन्ड वाले डॉक्टर्स को मध्यप्रदेश में ही सेवाएं देने के लिए रोका जाए। ऐसे डॉक्टर्स को प्रदेश के जनजातीय एवं दूरस्थ क्षेत्रों में सेवाएं देने के लिए इन्हें भी आकर्षक मानदेय राशि दी जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में तेजी से नए मेडिकल कॉलेजेस स्थापित हो रहे हैं, ऐसे में अधिक संख्या में डॉक्टर्स की आवश्यकता होगी। बॉन्ड वाले डॉक्टर्स को प्रमोट कर, इनके मानदेय को रिवाईज़ कर सभी नए मेडिकल कॉलेजेस एवं फील्ड के अस्पतालों में इनकी सेवाएं ली जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव बुधवार को मंत्रालय में लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा सहित खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की योजनाओं, कार्यक्रमों और संचालित गतिविधियों की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में उप मुख्यमंत्री लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा श्री राजेन्द्र शुक्ल, राज्यमंत्री श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल, मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन सहित अपर मुख्य सचिव (मुख्यमंत्री) श्री नीरज मंडलोई भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सभी स्वास्थ्य योजनाओं के तहत पात्र हितग्राहियों तक इनका लाभ समय पर और प्रभावी रूप से पहुंचे, इसके लिए डिलेवरी सिस्टम को और मजबूती और पारदर्शिता के साथ लागू किया जाए। मुख्यमंत्री ने फील्ड अमले की भूमिका पर विशेष जोर देते हुए कहा कि फील्ड स्तर पर संवेदनशीलता, तत्परता और जवाबदेही से ही स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि विभागीय सेवाओं का समन्वय और योजनाबद्ध क्रियान्वयन ही सरकार की लक्ष्य पूर्ति का वास्तविक माध्यम है। बैठक में बताया गया कि बॉन्ड वाले डॉक्टर्स को शासकीय डॉक्टर्स के रूप में भर्ती करने के लिए, इनके भर्ती नियम संशोधित किए जा रहे हैं। इसके लिए जल्द ही मंत्रि-परिषद की बैठक में प्रस्ताव लाया जाएगा।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश में तेजी से नए मेडिकल कॉलेजेस की स्थापना के लिए विभाग को बधाई दी। उन्होंने कहा कि प्राइवेट अस्पतालों में गर्भवती माताओं का बेवजह सीजेरियन आपरेशन करने की शिकायत आती रहती हैं, इस पर सख्ती से नियंत्रण किया जाए। उन्होंने कहा कि 108 एम्बुलेंस के चालकों द्वारा ज़बरदस्ती मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटल में ले जाने की शिकायत भी आती हैं, इसकी सख्ती से निगरानी करें और ऐसी प्रवृत्ति को रोकें। बताया गया कि बीते दो साल मे 84000 से अधिक कार्डियक सर्जरी शासकीय अस्पतालों में हुई है। प्राइवेट अस्पतालों की तुलना में शासकीय अस्पतालों में कार्डियक सर्जरी बहुत कम खर्चे में होती है। इस पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विभागीय व्यवस्थाओं की सराहना की। बताया गया कि प्रदेश में देहदान करने वाले 38 मृतकों को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया है। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह एक बेहद अच्छी योजना है और पूरे समाज के बीच इसे बेहद प्रमुखता से प्रचारित किया जाना चाहिए।
बैठक में उप मुख्यमंत्री लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा श्री राजेन्द्र शुक्ल ने बताया कि अगले तीन सालों में चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा सीएम-केयर योजना के सफल क्रियान्वयन को कार्य योजना में ले लिया गया है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2028 की समाप्ति तक राजगढ़, मंडला, छतरपुर, उज्जैन, दमोह एवं बुधनी में निर्माणाधीन गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज प्रारंभ कर देने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा पीपीपी मोड पर तैयार किए जाने वाले सभी मेडिकल कॉलेजेस का निर्माण कार्य भी इसी अवधि के दौरान पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा प्रदेश के एक जिले को मेडिकल टूरिज्म हब के रूप में विकसित करने का लक्ष्य लिया गया है। प्रदेश के सभी संभागीय मुख्यालय में कैथलैब की स्थापना भी वर्ष 2028 तक कर दी जाएगी। वर्ष 2028 तक मातृ मृत्यु दर 100 प्रति लाख जीवित जन्म करने का लक्ष्य लिया गया है। उन्होंने बताया कि खाद्य प्रशासन के सुदृढ़ीकरण के लिए FSSAI द्वारा वर्ष 2025-26 के लिए 41.07 करोड़ रुपए की कार्य योजना मंजूर कर दी गई है। इसी प्रकार औषधि प्रशासन के सुदृढ़ीकरण के लिए 211 करोड़ रुपए की लागत से 5 साल की कार्य योजना बनाकर CDSCO को भेज दी गई है। इसमें उल्लेखित सभी पूंजीगत कार्य 3 साल की समय-सीमा में पूरे कर लिए जाएंगे।
प्रमुख बिन्दु
प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में आमूलचूल परिवर्तन लाना सरकार की मंशा।
स्वास्थ्य सेवाओं के आधुनिकीकरण और चिकित्सा शिक्षा के व्यापक विस्तार के लिए सरकार बहुस्तरीय सुधार लागू कर रही।
प्रदेश में अधिकाधिक नागरिकों को आयुष्मान योजना का लाभ दिलाया जाए।
अस्पताल या डॉक्टर आयुष्मान योजना के तहत इलाज नहीं करते हैं या इस योजना में इम्पैनल्ड नहीं है, उन्हें भी इस योजना से जोड़ा जाए।
डॉक्टर्स की आपूर्ति के लिए विभाग भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाए।
चिकित्सा शिक्षा ग्रहण कर रहे ऐसे विद्यार्थी, जिनकी फीस सरकार द्वारा अदा की जा रही है, ऐसे बॉन्ड वाले डॉक्टर्स को मध्यप्रदेश में ही सेवाएं देने के लिए रोका।
डॉक्टर्स को प्रदेश के जनजातीय एवं दूरस्थ क्षेत्रों में सेवाएं देने के लिए इन्हें भी आकर्षक मानदेय राशि दी जाए।
बॉन्ड वाले डॉक्टर्स को प्रमोट कर, इनके मानदेय को रिवाईज़ कर सभी नए मेडिकल कॉलेजेस एवं फील्ड के अस्पतालों में इनकी सेवाएं ली जाए।
डिलेवरी सिस्टम को और मजबूती और पारदर्शिता के साथ लागू किया जाए।
विभागीय सेवाओं का समन्वय और योजनाबद्ध क्रियान्वयन ही सरकार की लक्ष्य पूर्ति का वास्तविक माध्यम है।
बॉन्ड वाले डॉक्टर्स को शासकीय डॉक्टर्स के रूप में भर्ती करने के लिए, इनके भर्ती नियम संशोधित किए जा रहे हैं। इसके लिए जल्द ही मंत्रि-परिषद की बैठक में प्रस्ताव लाया जाएगा।
प्रदेश में तेजी से नए मेडिकल कॉलेजेस की स्थापना के लिए विभाग को बधाई दी।
प्राइवेट अस्पतालों में गर्भवती माताओं का बेवजह सीजेरियन आपरेशन करने पर सख्ती से नियंत्रण किया जाए।
108 एम्बुलेंस की सख्ती से निगरानी करें।
प्रदेश में देहदान करने वाले 38 मृतकों को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया है।
वर्ष 2028 की समाप्ति तक राजगढ़, मंडला, छतरपुर, उज्जैन, दमोह एवं बुधनी में निर्माणाधीन गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज प्रारंभ कर देने का लक्ष्य।
प्रदेश के एक जिले को मेडिकल टूरिज्म हब के रूप में विकसित करने का लक्ष्य।
सभी संभागीय मुख्यालय में कैथलैब की स्थापना भी वर्ष 2028 तक कर दी जाएगी।
वर्ष 2028 तक मातृ मृत्यु दर 100 प्रति लाख जीवित जन्म करने का लक्ष्य लिया।
सुदृढ़ीकरण के लिए FSSAI द्वारा वर्ष 2025-26 के लिए 41.07 करोड़ रुपए की कार्य योजना मंजूर।
औषधि प्रशासन के सुदृढ़ीकरण के लिए 211 करोड़ रुपए की लागत से 5 साल की कार्ययोजना बनाकर CDSCO को भेज दी।
निजी निवेशकों को अस्पताल के निर्माण के लिए एक रुपए में जमीन देकर प्रोत्साहित किया जा रहा।
निजी निवेशकों के सहयोग से पीपीपी मोड पर कटनी, धार, पन्ना और बैतूल जिले में मेडिकल कॉलेज की स्थापना।
पीपीपी मोड पर ही 9 जिलों अशोक नगर, मुरैना, सीधी, गुना, बालाघाट, भिंड, टीकमगढ़, खरगौन एवं शाजापुर में नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए निविदा की कार्रवाई प्रचलित।
केंद्र सरकार द्वारा इंदौर में ईएसआईसी (ESIC) चिकित्सा महाविद्यालय (50 सीटर) भी प्रारंभ।
प्रदेश के तीन नए जिलों मैहर, मऊगंज और पांढुर्ना में नए जिला चिकित्सालय के निर्माण के लिए मंजूरी।
टीकमगढ़, नीमच, सिंगरौली, शिवपुरी एवं डिंडोरी के जिला चिकित्सालय का उन्नयन करते हुए कुल 800 बिस्तरों की वृद्धि की गई।
पीएमश्री एयर एंबुलेंस सेवा में अबतक 109 लोगों को एयरलिफ्ट किया गया।
प्रदेश के सभी जिला चिकित्सालय में जन औषधि केंद्रों की स्थापना कर दी गई।
शासकीय औषधि वितरण में जीएस-1 प्रणाली का क्रियान्वयन किया जा रहा है।
एसआरएस 2018-20 में जारी की गई तुलना में मध्यप्रदेश में मातृ मृत्यु दर 173 से कम होकर 142 तथा शिशु मृत्यु दर 41 से कम होकर 37 हो गई।
नेशनल टीबी एलिमिनेशन प्रोग्राम में मध्यप्रदेश देश के टॉप फाइव परफॉर्मर स्टेटस में से एक है।
अबतक कुल 1 करोड़ 25 लाख 38 हजार 125 सिकल सेल स्क्रीनिंग की जा चुकी।
प्रदेश में 12 हजार 655 आयुष्मान आरोग्य मंदिर, 448 मुख्यमंत्री संजीवनी क्लिनिक, 72 मोबाइल मेडिकल यूनिट और 148 शव वाहन संचालित किए जा रहे हैं।

