भोपाल
राम वनगमन पथ के मध्यप्रदेश में पड़ने वाले अंचलों का विकास का काम धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग से वापस ले लिया गया है। अब संस्कृति विभाग यह जिम्मेदारी उठाएगा।
राज्यपाल ने इसके लिए कार्य आवंटन नियमों में संशोधन कर दिया है। मध्यप्रदेश में राम वनगमन मार्ग चित्रकूट से शुरू होकर सता, पन्ना, अमानगंज, कटनी, जबलपुर, मंडला, डिंडौरी और शहडोल होते हुए अमरकंटक पर खत्म होगा। राम वनगमन मार्ग तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में कामदगिरी परिक्रमा, दूसरे चरण मेें चित्रकूट की 04 कोशी परिक्रमा स्थल और तीसरे चरण में राम वनगमन पथ के अन्य महत्वपूर्ण स्थलों का विकास किया जाएगा। राम वनगमन पथ प्रोजेक्ट का डीपीआर तैयार करते समय स्थानीय लोगों, साधू संतों और जनप्रतिनिधियों से भी रायशुमारी की जाएगी।
ये है राम वनगमन पथ के प्रमुख स्थल जिनका विकास होगा
चित्रकूट में भगवान राम कई स्थानों पर रुके थे। यहां विकास कार्य किया जाएगा। सतना में अत्रि ऋषि का आश्रम था। यहां रामवन नामक स्थान पर राम रुके थे। यहीं पर अत्रि ऋषि की पत्नी अनुसूइया ने सीता जी को दिव्य वस्त्र प्रदान किए थे। शहडोल जिले के अमरकंटक में जबलपुर शहडोल होते हुए राम अमरकंटक गए थे। सरगुजा में सीता कुंड है। इन सभी स्थलों का विकास किया जाएगा। यह काम अब संस्कृति विभाग खुद कराएगा। इन स्थलों पर पौधरोपण, बाग-बगीचे, सड़कों, फुटपाथों का निर्माण, झरने, सजावटी काम सबकुछ संस्कृति विभाग कराएगा।

