Sunday, December 21

फारूक अब्दुल्ला बोले- जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं-मुसलमानों के बीच फैली नफरत का दुश्मनों को हो रहा फायदा

फारूक अब्दुल्ला बोले- जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं-मुसलमानों के बीच फैली नफरत का दुश्मनों को हो रहा फायदा


श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच फैली नफरत से हमारे दुश्मनों को फायदा हो रहा है। देश नहीं बचेगा अगर हम नेता धर्म और राजनीति को एक दूसरे से दूर नहीं रखेंगे। अच्छा तो यह होगा कि हम धर्म-जात को छोड़ लोगों की समस्याओं, उनकी दिक्कतों को दूर करने के लिए काम करें। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री, नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष व सांसद डॉ फारूक अब्दुल्ला ने पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने केंद्र में रही सरकारों पर कश्मीर पंडितों को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों से वायदे तो बहुत हुए लेकिन एक भी पूरा नहीं किया गया। इसी वोट बैंक की राजनीति के जरिए कश्मीरी पंडितों और कश्मीरी मुसलमानों के बीच समस्याएं पैदा की गईं। डॉ फारूक अब्दुल्ला ने विस्थापन का दंश झेल रहे कश्मीरी पंडितों के दुख को अपना बताते हुए कहा कि राष्ट्र विरोधी तत्व सोचते थे कि पंडितों को अगर घाटी से धकेल दिया जाए तो कश्मीर उनका हो जाएगा परंतु वे अपने मंसूबों में सफल नहीं हो सकते।

अफसोस इस बात का है कि केंद्र में रही सरकार ने इस दौरान पंडितों को कश्मीर वापसी का सपना दिखाता हुए कई वायदे किए परंतु आज तक वे पूरा नहीं हो सका है। हुआ यह कि वोट बैंक की राजनीति के चलते कश्मीरी पंडितों और मुसलमान कश्मीरियों में दूरियां बढ़ती गई। इसका नतीजा आज यह है कि पंडित आज यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि वह मुसलमानों के साथ घाटी में रहकर सुरक्षित रहेंगे या नहीं। डॉ अब्दुल्ला ने कहा कि जब तक हमारे दिनों ये गलत धारनाएं दूर नहीं होंगी कश्मीरी पंडित-कश्मीरी मुसलमान एक साथ नहीं रह सकते। उन्होंने भाजपा को घेरते हुए कहा कि सरकार में आने के बाद उन्हाेंने भी पंडितों के लिए कोई काम नहीं किया। कश्मीर के हालात अभी भी बेहतर नहीं हैं। जब तक वोट बैंक की राजनीति समाप्त नहीं होगी। हालात बेहतर नहीं होंगे। इसी के साथ डॉ अब्दुल्ला ने कहा कि भाजपा महिला अधिकार विधेयक पारित क्यों नहीं करती? उनके पास संसद में 300 सदस्य हैं, लेकिन वे नहीं चाहते कि महिलाएं उठें और पुरुषों के समान दर्जा प्राप्त करें।उन्होंने भाजपा को घेरते हुए कहा कि वह महिला अधिकार विधेयक पारित क्यों नहीं करते? उनके पास संसद में 300 सदस्य हैं, लेकिन वे नहीं चाहते कि महिलाएं उठें और पुरुषों के समान दर्जा प्राप्त करें।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *