ग्लासगो
जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक सम्मेलन में एक समझौता किया गया, जिसे जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने नाकाफी बताया। उन्होंने कहा कि असली काम इन हॉलों से बाहर हो रहा है।
स्कॉटलैंड के ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन पर चल रहे वैश्विक नेताओं के सम्मेलन(कॉप-26) को भले ही संयुक्त राष्ट्र दुनिया के हितों के लिए एक समझौते के रूप में देख रहा हो, लेकिन जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने इस सम्मेलन को सिर से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि असली काम इन हॉलों से बाहर होना है और वह हम कर रहे हैं।
ग्रेटा ने शनिवार को ट्वीट किया
कॉप-26 सम्पन्न हो गया है। यहां इस सम्मेलन का सारांश है, जो इस तरह है- ब्ला, ब्ला, ब्ला….असली काम हॉलों से बाहर हो रहा है और हम कभी भी हार नहीं मानेंगे।
ग्रेटा थनबर्ग का यह ट्वीट उनके ही ट्वीट के जवाब में है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर इस सम्मेलन के शुरू में एक ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था कि जब तक हम स्त्रोतों के उत्सर्जन पर तत्काल कटौती नहीं करते हैं तो इसका मतलब है कि जलवायु संकट पर सिर्फ बातें कर रहे हैं। हम असफल हैं। उन्होंने कहा था कि हमें सही दिशा में कदम उठाने होंगे।
कॉप-26 के दौरान संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने विश्व को जलवायु सकंट की चेतावनी दी तो ग्लासगो समझौते में शामिल होने वाले देशों ने भी इस बात को स्वीकार किया कि अभी बहुत काम किया जाना बाकी है। गुटेरस ने कहा कि ग्लासगो समझौता एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। जलवायु संकट हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रहा है। वहीं ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि कोयले को चरणबद्ध करने के लिए यह पहला अंतरराष्ट्रीय समझौता है। यह ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 तक सीमित करने का एक रोडमैप है।

