बिहार के चारा घोटाले में शामिल राज्य के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव का आज किडनी ट्रांसप्लांट किया गया है। कई समय से वह किडनी डैमेज की परेशानियों से जूझ रहें थे। जिसके बाद आज उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने किडनी डोनेट किया है। जेल में बंद रहने के दौरान लालू प्रसाद यादव का क्रिएटिनिन लेवल 5.1 हो गया था, जो कि नॉर्मल किडनी के क्रिएटिनिन लेवल से 4 प्वाइंट ज्यादा है। क्रिएटिनिन का बढ़ा लेवल बताता है कि किडनी खराब हो रही है। चलिए जानते हैं क्या है क्रिएटिनिन जो बताता है किडनी का हाल।
क्या होता है क्रिएटिनिन
मायो क्लिनिक के अनुसार, क्रिएटिनिन आपकी मांसपेशियों में ऊर्जा-उत्पादन प्रक्रिया में निकलने वाला एक वेस्ट बाय-प्रोडक्ट है। स्वस्थ गुर्दे रक्त से क्रिएटिनिन को फिल्टर करते हैं। क्रिएटिनिन आपके शरीर से मूत्र के जरिए बाहर निकल जाता है। आपके रक्त या मूत्र में क्रिएटिनिन का लेवल बताता है कि आपकी किडनी सही से काम कर रही है या नहीं।
कितना होना चाहिए क्रिएटिनिन का लेवल
वैसे तो क्रिएटिनिन लेवल आपकी उम्र, जेंडर और बॉडी साइज पर निर्भर करती है। लेकिन क्रिएटिनिन का नॉर्मल लेवल वयस्क महिलाओं के लिए- 0.59 से 1.04 मिलीग्राम/डीएल (52.2 से 91.9 माइक्रोमोल्स/एल) और वयस्क पुरुषों के लिए वयस्क पुरुषों के लिए, 0.74 से 1.35 mg/dL (65.4 से 119.3 माइक्रोमोल्स/एल) तक माना जाता है।
हाई क्रिएटिनिन लेवल के लक्षण
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार, किडनी की बीमारी साइलेंट किलर की तरह होती है। ज्यादातर मामलों में इसके शुरुआती स्टेज में गड़बड़ी के कोई लक्षण नहीं दिखाई पड़ते हैं। हालाँकि, जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, आप इन कुछ लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं।
सूजन
थकान
बार- बार या कम पेशाब होना
भूख में कमी
जी मिचलाना
खुजली
किन लोगों को होता किडनी डैमेज का खतरा
हर व्यक्ति को किडनी की बीमारी होने का खतरा होता है। हालांकि, कुछ लोगों में दूसरों की तुलना में किडनी की समस्या विकसित होने का खतरा अधिक होता है। इनमें 60 वर्ष की से अधिक आयु लोग, डायबिटीज, उच्च रक्तचाप के मरीज, किडनी डिजीज के फैमिली हिस्ट्री वाले लोगों में अधिक होता है। ऐसे में इन्हें समय-समय पर क्रिएटिनिन टेस्ट कराते रहना जरूरी होता है।
कैसे करें क्रिएटिनिन को कम
यदि आपका क्रिएटिनिन लेवल जरूरत से ज्यादा है तो आप इसे लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव के साथ कंट्रोल कर सकते हैं। इन बदलावों में प्रोटीन का कम सेवन, खाने में फाइबर की अधिकता, नमक का कम उपयोग, शराब-धूम्रपान से परहेज, ज्यादा पानी पीना आदि शामिल हैं।

