Tuesday, December 2

यह अग्नाशयी कैंसर के लक्षण को भूल कर भी न करे इग्नोर , पढ़ सकता है महंगा

यह अग्नाशयी कैंसर के लक्षण को भूल कर भी न करे इग्नोर , पढ़ सकता है महंगा


अग्नाशय या पैंक्रियाटिक कैंसर (Pancreatic Cancer) पैंक्रियास हिस्से में होने वाली जानलेवा बीमारी है। यह पेट के निचले हिस्से के पीछे स्थित नाशपाती के आकार वाला एक अंग होता है। इसका काम एंजाइम छोड़ना होता है, जो पाचन में सहायता करता है। साथ ही उन हार्मोन को पैदा करता है, जो आपके ब्लड शुगर को कंट्रोल रखने में मदद करता है।

बहुत कम ही ऐसा होता है कि पहले स्टेज पर ही इस कैंसर का पता चल जाए, जहां यह शत प्रतिशत उपचार योग्य होता है। पैंक्रियाटिक कैंसर उस समय तक कोई पक्के संकेत नहीं दिखाता जब तक यह दूसरे हिस्सों में न फैलने लगे। यह कैंसर हड्डियों के साथ लीवर और लंग्स में भी तेजी से फैलता है।

​पैंक्रियाटिक कैंसर के हड्डियों में फैलने के संकेत

कैंसर रिसर्च यूके के अनुसार, बॉडी के दूसरे हिस्सों में फैलने वाले कैंसर को एडवांस पैंक्रियाटिक कैंसर के रूप में जाना जाता है। इस ट्यूमर के फैलने के संकेत बहुत मामूली हो सकते हैं। जब यह कैंसर आपकी हड्डियों में फैलता है तो यह कैल्शियम का लेवल बढ़ा देता है, जिससे निर्जलीकरण, भ्रम, पेट में दर्द के साथ-साथ कब्ज की परेशानी होने लगती है।

कैंसर के बोन्स तक पहुंचने पर ये लक्षण भी दिखते हैं

हड्डी टूटने से दर्द – दर्द लगातार होता है और लोग अक्सर इसे कुतरने जैसा बताते हैं
पीठ दर्द, जो आराम करने के बाद भी बढ़ जाता है
कमजोर हड्डियां – जो आसानी से टूट सकती हैं
बढ़ा हुआ रक्त कैल्शियम
रक्त कोशिकाओं का निम्न स्तर

1st स्टेज में अग्नाशय कैंसर के साइन

त्वचा का पीला पड़ना, खुजली
गहरे रंग का पेशाब और मल
भूख कम लगना या वजन कम होना
थकान महसूस होना
ज्यादा गर्मी या कंपकंपी लगना
मतली या उल्टी
दस्त या कब्ज
पेट के ऊपरी भाग में दर्द होना
अपच के लक्षण, जैसे पेट फूलना

​अग्नाशय कैंसर का कारण

मायो क्लिनिक के अनुसार, यह स्पष्ट नहीं है कि अग्नाशय के कैंसर का कारण क्या है। हालांकि डॉक्टरों ने कुछ कारणों की पहचान की है जो इस प्रकार के कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। इसमें धूम्रपान और कुछ विरासत में मिले जीन म्यूटेशन शामिल हैं।

​पैंक्रियाटिक कैंसर के साथ कब तक जिंदा रह सकते हैं?

Cancer.net के अनुसार, यदि कैंसर पहले स्टेज में ही निदान हो जाए तो 5 साल तक जिंदा रहने की दर 42% होती है। इस चरण में लगभग 13% लोगों का निदान किया जाता है। यदि कैंसर आसपास के ऊतकों या अंगों में फैल गया है, तो 5 साल की जीवित रहने की दर सिर्फ 14% ही रह जाती है।

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