इंदौर
प्रदेश को महाराष्ट्र से जोड़ने वाली इंदौर-मनमाड़ रेलवे लाइन प्रोजेक्ट का कुछ साल पीछे जाना तय हो गया है। जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) ने इसके लिए राशि नहीं होने की बात कह दी है। महाराष्ट्र में इस योजना में कुछ काम जरूर शुरू हुआ है, लेकिन वह इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए काफी नहीं है। सरकार बजट में भी इस परियोजना के लिए नाम मात्र की राशि देती है।
कुछ साल पहले जब इस 363 किलोमीटर लंबी परियोजना के लिए एमओयू साइन हुआ था। इसमें इस 10 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट के लिए मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र सरकार ने 15-15 प्रतिशत की राशि देने के लिए कहा था। जबकि 15 प्रतिशत राशि जहाजरानी मंत्रालय और शेष 55 प्रतिशत राशि जेएनपीटी को देनी थी। जमीन का सर्वे होने के बाद भी इसका काम शुरू नहीं हो पाया है। धुलिया से नरडाना के बीच में जरूर जमीन अधिग्रहण का काम शुरू हुआ है, लेकिन अब तक इसमें फंड नहीं मिला है। बजट में भी केवल परियोजना का खाता खुला रखने के लिए एक हजार रुपये दिए जा रहे हैं।
प्रोजेक्ट में देरी होना तय – रेलवे विशेषज्ञों ने बताया कि इस परियोजना में सबसे अधिक राशि देने वाले जेएनपीटी ने अब फंड की कमी की बात कही है। उपलब्ध फंड का उपयोग किसी पोर्ट के निर्माण में लगाने की बात मंत्रालय ने कही है। इससे प्रोजेक्ट में देरी होना तय हो गया है। वहीं विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि अगर काम शुरू हो तो मनमाड़ से ही शुरू होना चाहिए। धुलिया के यहां से काम शुरू करने का क्या फायदा? इस मामले में इस परियोजना के अंतर्गत आने वाले सभी क्षेत्रों के सांसद मिल कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात करेंगे।
नई लाइन बनने से मुंबई की दूरी होगी कम – उल्लेखनीय है कि नई रेल लाइन इगतपुरी, नासिक, सिन्नार, खेड़, धुले, नरडाणा, शिरपुर, सेंधवा, जुलवानिया से होकर गुजरेगी। रेल लाइन शुरू होने पर इंदौर से जेएनपीटी (जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट) मुंबई की दूरी करीब 170 किमी कम हो जाएगी। इंदौर से मुंबई की दूरी अभी रतलाम होते हुए करीब 829 किमी है। ट्रेन करीब 13 घंटे में इंदौर से मुंबई पहुंचती है। नई लाइन बनने से दूरी 659 किमी रह जाएगी और सफर करीब नौ घंटे का हो जाएगा।

