Thursday, December 18

विवि में 47 बैकलाग पदों के लिए आवेदनों की स्क्रूटनी नहीं, इंटरव्यू पैनल तय होना बाकी

विवि में 47 बैकलाग पदों के लिए आवेदनों की स्क्रूटनी नहीं, इंटरव्यू पैनल तय होना बाकी


इंदौर
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (देअवीवी) के अध्ययनशालाओं में आफलाइन कक्षाएं शुरू हो चुकी है, लेकिन वहां शिक्षकों की कमी अभी दूर नहीं हुई है। पांच महीने पहले निकाले गए बैकलाग पदों पर नियुक्तियां अभी तक नहीं हुई है। सिर्फ उम्मीदवारों के आवेदन मांग रखे है। इनकी स्क्रूटनी तक रुकी हुई है। विवि में पढ़ाने की आस लगाए बैठे उम्मीदवार अब परेशान होने लगे है, क्योंकि इन्हें अन्य संस्थानों से भी बुलाया जा रहा है। शिक्षक पदों के इन उम्मीदवारों ने कुलपति से लेकर कुलसचिव तक को जल्द प्रक्रिया करने की गुहार लगाई है। वहीं दो महीने से विश्वविद्यालय सिर्फ इंटरव्यू पैनल तय होने का इंतजार कर रहा है।

विश्वविद्यालय के बीस विभागों में बरसों से खाली पड़े बैकलाग पदों के लिए जुलाई से आवेदन मांगवाए थे। 47 पदों के लिए 450 से ज्यादा उम्मीदवारों ने दिलचस्पी दिखाई। सूत्रों के मुताबिक इनमें 60 प्रतिशत विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाली विजिटिंग फैकेल्टी व संविदा शिक्षक है। बाकी कालेजों के शिक्षकों ने आवेदन किया है। 22 अगस्त तक आए आवेदनों की स्क्रूटनी होना थी, लेकिन प्रक्रिया अभी तक नहीं शुरू ही है। सूत्रों के मुताबिक विश्वविद्यालय बजट का अभाव बताई जा रही है। यहां तक आवेदकों के साक्षात्कार के लिए राजभवन से इंटरव्यू पैनल आना बाकी है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक बार ही पत्र लिखा है।

तीन महीने से रुकी भर्ती प्रक्रिया को लेकर आवेदक परेशान होने लगी है। कुछ आवेदकों का कहना है कि यूजीसी, नैक और उच्च शिक्षा विभाग को दिखाने के लिए विवि भर्ती प्रक्रिया शुरू करता है। इसे पहले भी 2014 -2016 में विज्ञापन निकलाकर आवेदन बुलवाए थे। 500-500 रुपये शुल्क वसूला जाता है। प्रभारी कुलसचिव अनिल शर्मा का कहना है कि इंटरव्यू पैनल के लिए राजभवन को पत्र लिखेंगे।

70-80 विजिटिंग फैकेल्टी
विभागों में शिक्षकों की भारी कमी है। आइएमएस, आइआइपीएस, आइईटी जैसे बड़े विभागों में 70-80 विजिटिंग फैकेल्टी पढ़ा रही है। 2009 के बाद विवि में शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई है। बैकलाग पद भरने के बाद विश्वविद्यालय को 220 नियमित और स्ववित्त शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति करना है। वैसे इसके लिए तीन बार पहले भी आवेदन बुलवाए है। मगर विश्वविद्यालय हमेशा शिक्षकों का चयन नहीं कर रहा है।

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