नई दिल्ली
परिसीमन आयोग ने अपनी दूसरी मसौदा रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में बदलाव का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा कश्मीर संभाग में बड़े पैमाने पर बदलाव किए गए हैं। इसे केंद्रशासित प्रदेश के पांच सहयोगी सदस्यों को उनके सुझावों के लिए सौंपा गया है। अनंतनाग संसदीय सीट के पुनर्निर्धारण प्रस्ताव के तहत अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि विस्तृत रिपोर्ट में जम्मू संभाग से राजौरी और पुंछ को शामिल करके अनंतनाग संसदीय सीट के पुनर्निर्धारण का प्रस्ताव है।
परिसीमन आयोग ने जम्मू और कश्मीर की विधानसभाओं का प्रारूप ही नहीं पांच संसदीय क्षेत्रों का आकार भी बदल रही है। इस संबंध में आयोग ने अपनी दूसरी मसौदा रिपोर्ट पेश की है। जिसमें जम्मू कश्मीर के विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में बड़े बदलाव किए जा रहे हैं। परिसीमन आयोग की रिपोर्ट में राज्य के कई नेताओं ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है।
श्रीनगर की अधिकतर विधानसभा सीटों का पुनर्निर्धारण
तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य की कई विधानसभा सीटें खत्म कर दी गई हैं। इसमें हब्बा कदल सीट भी शामिल है, जिसे प्रवासी कश्मीरी पंडितों के पारंपरिक गढ़ के रूप में देखा जाता था। श्रीनगर जिले की खानयार, सोनवार और हजरतबल विधानसभा सीटों को छोड़कर अन्य सभी सीटों का पुनर्निर्धारण किया गया है व चन्नापुरा तथा श्रीनगर दक्षिण की तरह नई विधानसभा सीटों के साथ विलय कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि नई प्रस्तावित रिपोर्ट में हब्बा कदल के मतदाता अब कम से कम तीन विधानसभा क्षेत्रों का हिस्सा होंगे।
बडगाम जिले का पुनर्निर्धारण
इसी तरह, पांच विधानसभा क्षेत्रों वाले बडगाम जिले का पुनर्निर्धारण किया गया और बारामूला संसदीय क्षेत्र के साथ विलय कर दिया गया, इसके अलावा कुछ क्षेत्रों को विभाजित किया गया और उत्तरी कश्मीर में कुंजर जैसी नई विधानसभा सीटों का निर्माण किया गया है। पुलवामा, त्राल और शोपियां के कुछ इलाके, जो अनंतनाग लोकसभा सीट का हिस्सा थे, अब श्रीनगर संसदीय सीट का हिस्सा होंगे। परिसीमन की कवायद पूरी होने के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी। जम्मू-कश्मीर राज्य की तत्कालीन विधानसभा में कश्मीर में 46, जम्मू में 37 और लद्दाख में चार सीटें थीं।
सहयोगी सदस्यों को 14 तक देनी होगी राय
रिपोर्ट पांच सहयोगी सदस्यों फारूक अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी और अकबर लोन (नेशनल कॉन्फ्रेंस के लोकसभा सदस्य) तथा जितेंद्र सिंह और जुगल किशोर (भाजपा सांसद) को शुक्रवार को भेजी गई हैं। अधिकारियों ने कहा कि उन्हें 14 फरवरी तक अपनी राय देने को कहा गया है, जिसके बाद रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाएगा।
अगले माह खत्म हो रहा आयोग का कार्यकाल
रिपोर्ट ने पिछले साल 31 दिसंबर को नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) द्वारा दर्ज कराई गईं आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया है। पार्टी ने जम्मू संभाग में छह विधानसभा सीटों और कश्मीर संभाग में सिर्फ एक सीट बढ़ाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुशील चंद्रा और राज्य निर्वाचन आयुक्त केके शर्मा के साथ सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना देसाई की अध्यक्षता में 6 मार्च 2020 को आयोग की स्थापना की गई थी। इसे 6 मार्च 2021 को एक वर्ष का विस्तार दिया गया था, जिसका कार्यकाल अगले महीने खत्म होने वाला है। परिसीमन आयोग ने पिछले साल 18 फरवरी और 20 दिसंबर को सहयोगी सदस्यों के साथ दो बैठकें की। नेशनल कॉन्फ्रेंस के तीन सांसदों ने जहां पहली बैठक का बहिष्कार किया, वहीं दूसरी बैठक में वे शामिल हुए थे।

