बीजिंग
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने देश में धार्मिक मामलों पर राज्य के नियंत्रण को कड़ा करने के लिए अतिरिक्त उपायों का आह्वान किया है, जिनमें आस्थाओं को चीनी स्वरूप प्रदान (सिनिसाइजेशन) करना भी शामिल है। मोटे तौर पर इसका अर्थ गैर चीनी समाज को सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों के अनुरूप ढालना है। 2019 में जारी एक आधिकारिक श्वेत पत्र में कहा गया है कि चीन में लगभग 20 करोड़ मतावलंबी हैं। जिनमें से अधिकतर तिब्बत में बौद्ध थे। साथ ही दो करोड़ मुस्लिम, 3.8 करोड़ प्रोटेस्टेंट ईसाई और 60 लाख कैथोलिक ईसाई शामिल थे। इसके अलावा 1,40,000 पूजा स्थल भी हैं। आम तौर पर माना जा रहा है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और शक्तिशाली सेना के प्रमुख और राष्ट्रपति का पद रखने वाले 68 वर्षीय शी जिनपिंग सत्ता आजीवन अपने पास रखेंगे। शी अन्य धर्मों के "सिनिसाइजेशन" (वह प्रक्रिया जिसके द्वारा गैर-चीनी समाज को चीनी संस्कृति में ढाला जाएगा) का आह्वान करते रहे हैं। इसके पीछे चीन को वैश्विक मंच पर और मजबूत करना और चीन में एकीकरण का लक्ष्य साधना है।
शी ने धार्मिक मामलों से संबंधित कार्य के राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा, "धार्मिक नेताओं की लोकतांत्रिक निगरानी में सुधार करना और धार्मिक कार्यों में कानून के शासन पर जोर देना और कानून के शासन के बारे में गहन प्रचार और शिक्षा आवश्यक है।" विशेषज्ञों के अनुसार, 2016 के बाद पहली बार यह सम्मेलन हो रहा है। इसमें अगले कुछ वर्षों के लिए चीन के धार्मिक मामलों और उनके विनियमन पर मानकों को निर्धारित किया गया। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, अपने संबोधन में शी ने कहा कि चीन ऑनलाइन धार्मिक मामलों के नियंत्रण को मजबूत करने के लक्ष्य के साथ "धर्म के सिनिसाइजेशन" को बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा कि चीनी संदर्भ में धर्मों के विकास के सिद्धांत को बुलंद करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि धार्मिक आस्था की स्वतंत्रता पर पार्टी की नीति को पूरी तरह और ईमानदारी से लागू किया जाना चाहिए और धार्मिक समूहों को एक पुल और एक बंधन के रूप में खड़ा होना चाहिए जो पार्टी और सरकार को धार्मिक हलकों और व्यापक धार्मिक अनुयायियों के साथ जोड़ता है।

