स्वामी मैथिलीशरण भरत चरित्र कथा में बोले – त्याग नहीं, सृजन में हो अर्थ का उपयोग
देहरादून
त्याग में त्यागी होने का अहंकार आ सकता है, लेकिन यदि प्राप्त वस्तु में संतोष मिल जाए तो यह वस्तु या धन के त्याग से भी बड़ा त्याग है। संतोष और भक्ति में असंतोष ही हमें उन्नत कर सकता है। मनुष्

