देहरादून
वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने कहा है कि ऋषिगंगा घाटी में गत सात फरवरी को आई भीषण बाढ़ ग्लेशियर के ऊपरी क्षेत्र में जमा पानी और मलबे के कारण आई। यह मलबा वहां बीते 4-5 साल से जमा हो रहा था। मलबे और पानी के दबाव के कारण रोंगथी गदेरे में 540 मीटर चौड़ी व 720 मीटर लंबी चट्टान टूटने व उस पर टिके ग्लेशियर के खिसकने से बाढ़ आई।
रैंणी-तपोवन आपदा
- 32 किलोमीटर के दायरे में मचाई तबाही
- 77 शव और 35 मानव अंग हुए बरामद
- 205 लोग हुए थे लापता
- 1500 करोड़ का हुआ था नुकसान।
सर्दियों में आपदा आने की प्रमुख वजह
क्लाइमेट रिसर्च यूनिट टाइम सीरीज के 118 साल के डाटा के अनुसार, जनवरी-फरवरी में इस इलाके में तापमान शून्य डिग्री से नीचे रहता है। आपदा से पहले 4 और 5 फरवरी को यहां हिमपात हुआ था। बर्फ के भार से जोड़ों-दरारों के खुलने और मलबे के भार को चट्टान सहन नहीं कर सकी और ग्लेशियर को साथ लेकर नीचे गिर पड़ी।
इन वैज्ञानिकों ने किया अध्ययन
डॉ. मनीष मेहता, डॉ. विनीत कुमार, डॉ. समीर तिवारी, अमित कुमार और अक्षय वर्मा।

