भोपाल
इंदौर और भोपाल में पुलिस कमिश्नर सिस्टम भले ही लागू कर दिया गया हो, लेकिन राज्य शासन ने इस बात का भी ध्यान रखा कि इससे प्रदेश पर आर्थिक बोझ न बढ़े। इसके चलते ही दोनों शहरों में पुलिस उपायुक्त (डीसीपी)और अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (एडिशनल डीसीपी) के कई पद खाली रखे गए हैं। भोपाल में डीसीपी के 6 और इंदौर में डीसीपी के 5 पद खाली रखे गए हैं। इसी तरह भोपाल में में एडिशनल डीसीपी के तीन पद और इंदौर में एडिशनल डीसीपी के पांच पद खाली रखे गए हैं। इस तरह इन दोनों पदों पर 19 जगह अभी खाली रखी गई है।
सूत्रों की मानी जाए तो इन दोनों शहरों में यह पद इसलिए खाली रखे गए है, ताकि शासन पर फिलहाल इस सिस्टम को लेकर कोई अतिरिक्त आर्थिक भार न पड़े। इन अफसरों की यदि पोस्टिंग कर दी जाती तो इनके लिए गाड़ी की व्यवस्था सबसे पहले पुलिस मुख्यालय को करना होती। इसी तरह इन सभी अफसरों के आॅफिस और फर्जीचर आदि की भी व्यवस्था करना होती। इसी तरह इन्हें पद अनुसार स्टाफ देना होता। इन सब से बचने के लिए शासन ने कई पद खाली रख कर फिलहाल इस सिस्टम को जीरो बजट में लागू किया है।
इंदौर और भोपाल में 8-8 डीसीपी के पद स्वीकृत राज्य शासन ने किए हैं। इनमें से इंदौर में महेश चंद्र जैन,आशुतोष बागरी, अरविंद तिवारी पुलिस उपायुक्त हैं। बाकी के पद खाली रखे गए हैं। वहीं भोपाल में विजय खत्री और साई कृष्ण थोटा पुलिस उपायुक्त हैं। यहां पर भी बाकी के पद खाली रखे गए हैं। इसी तरह भोपाल में एडिशल डीसीपी के 10 और इंदौर में 12 पद स्वीकृत किए हैं। भोपाल में रामजी श्रीवास्तव, दिनेश कुमार कौशल, संदीप कुमार दीक्षित, राजेश भदौरिया, रामस्नेही मिश्रा, रश्मि मिश्रा, ऋचा चौबे पदस्थ किए गए हैं। इनमें से ऋचा चौबे ही पूर्व में जिले से बाहर पदस्थ थी। इस सिस्टम में उन्हें पुलिस मुख्यालय से भोपाल लाया गया। इसी तरह इंदौर में राजेश व्यास, राजेश रघुवंशी, अनिल पाटीदार, गुरुप्रसाद पारासर, प्रशांत चौबे, जसवीर सिंह भदौरिया और शशिकांत कनकने एडिशनल डीसीपी के पद पर पदस्थ हैं। ये अफसर कमिश्नर सिस्टम लागू होने से पूर्व से ही इंदौर में पदस्थ थे।

