भोपाल। सिंगर कैलाश खेर ने कहा कि जब मेरा कॅरियर शुरू हुआ था तब संगीत क्षेत्र में बड़े-बड़े नाम थे, लेकिन संगीत में जितना काम होना चाहिए था वह नहीं हुआ था। उन्होंने कहा कि मैं अपने जन्मदिन पर केक नहीं काटता। मैं अब ज्योत से ज्योत जलाता हूं। हमारे देश में टैलेंट की भरमार है बस उन्हें सही प्लेटफॉर्म नहीं मिल पाता। मैं जन्मदिन पर इन होनहार सिंगर्स को मंच देता हूं। जब आप पीक पर होते हैं तो ये काम बेहतर तरीके से कर सकते हैं। मैं अपने खर्चे पर उन्हें मौका दे रहा हूं। इसके लिए मैंने डमरू ऐप भी लॉन्च किया है, जो इन्हें नए मौके देगा। कैलाश रविवार को पब्लिक रिलेशंस सोसायटी (पीआरएसआई) के भोपाल चैप्टर के अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के सम्मान समारोह में शिरकत करने आए थे।
हम पश्चिम का अनुसरण क्यों कर रहे
सिंगर कैलाश खेर ने कहा कि लोग पश्चिमी संस्कृति का अनुसरण करके असामान्य जीवन जीने लगे हैं, जब हम प्रकृति के साथ सामान्य जीवन जीते हैं तो परमेश्वर के साथ जीते हैं। उन्होंने कहा कि आज एक पीढ़ी धर्मालय बना रही है तो दूसरी व्यापार कर रही और तीसरी पीढ़ी सिर्फ पार्टियां ही कर रही है। असली भारत वह है, जहां तीन पीढ़ियों के विचार अलग-अलग हों, लेकिन संस्कार एक ही हों। संस्कार जब से विपरीत हुए हैं, तभी से मनुष्य विकृत हो गया है। हमें इसे ही बदलना होगा। उसके जीवन में दौलत और नाम आ गया है, लेकिन सब अलग-अलग हो गए हैं, बंट गए हैं। वहीं, विच्छेदन बिगड़े स्वास्थ्य का घटक बना, क्योंकि संस्कार पोषित जीवन सरल होता है और सरलता का अभ्यास ही आध्यात्म है।
स्वर्ण स्वर भारत मेरे जीवन का अनुभव
कैलाश खेर ने इस दौरान टीवी शो स्वर्ण स्वर भारत के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि अध्यात्म में ऐसा कुछ नहीं है कि आप सब काम छोड़कर एक जगह बैठकर परमात्मा का नाम लें। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में जिस प्रकार के अनुभव हुए हैं, उन अनुभवों के कारण एक विचार उत्पन्न हुआ। उसी की परिकल्पना है 'स्वर्ण स्वर भारत'। कैलाश खेर ने इस दौरान खुद के गाए प्रसिद्ध गीत तेरी दीवानी और सैया.. गाकर समा बांध दिया।

