Monday, December 22

नववर्ष की बधाई देने में क्या बुराई है

नववर्ष की बधाई देने में क्या बुराई है


रायपुर
नववर्ष पर बधाईयों के साथ कुछ मेसेज ऐसे भी मिले अंग्रेजों के नए वर्ष की बधाई क्यों दें। आज इंसान की दैनिक गतिविधियों में हर वह तरीका समाहित है, जो जीवन को सरल ,सुविधाजनक बनाती हो। विदेश ही क्या हमारे देश में अलग अलग गणनाओं के आधार पर नया वर्ष मनाया जाता है? हिंदी नववर्ष, असम, दक्षिण भारत, पंजाब, बंगाल, महाराष्ट्र सहित अनेक प्रदेशों में स्थानीय निवासी नव वर्ष अलग-अलग समय उत्साह पूर्वक मनाते हैं। यहां तक दीपावली के दूसरे दिन व्यापारियों द्वारा नया वर्ष नया बहीखाता शुरू करने, इनकम टैक्स के अनुसार 1 अप्रेल से नया साल प्रचलित है?। सभी नए वर्षों पर एक दूसरे को बधाई देते है,उन्हें शुभकामनाएं प्रदान करते हैं।

पिछले दो तीन वर्षों सोशल मीडिया ने कुछ ऐसे मेसेज भी आने लगे है 1 जनवरी से प्रारंभ वर्ष विदेशी नववर्ष है, इस मे बधाई क्यों दी जाए। पर मेरे विचार से सिर्फ जनवरी के नए वर्ष की बधाई देने में ही क्यों कंजूसी की जाए। हर व्यक्ति को अपनी संस्कृति और सभ्यता का सम्मान करना चाहिए और उस पर उसे गर्व होना चाहिए पर दूसरों की संस्कृति पर अकारण टिप्पणी क्यों करना चाहिए। किसी की तारीफ में,किसी की प्रशंसा में कसीदे भले ही न कढ़े, पर बेवजह किसी की आलोचना भी न करें। हमारे ही महापुरुषों ने पूरे संसार को एक परिवार माना है वसुधैव कुटुम्बकम की बात कही है। हर सभ्यता में कुछ न कुछ खूबियाँ है जिनका सोच समझ कर अनुसरण करना ही सबके हित में है। जरा याद करें आज सबकी दिनचर्या में ऐसा क्या क्या शामिल है, जिसे हम में से बहुत सारे लोग, देशी-विदेशी विचारे बगैर निसंकोच उपयोग करते है और वैसे भी सभी संस्कृतियों की अच्छी बातों को अपने में शामिल करने में कोई बुराई भी नही है।

जैसे सुबह बिस्तर से उठकर विदेशियों की ईजाद की गयी स्लीपर पहिन कर विदेशियों की तरह टूथब्रश व पेस्ट से दाँत साफ कर अंग्रेजो के पेय चाय पीते हैं और विदेशी यूट्यूब पर भजन व मनपसंद गाने लगाकर सुनतें हैं।अंग्रेजों की तरह साबुन, शैम्पू लगाकर उन्हीं की तरह शावर लेकर नहाने, विदेशियों की तरह के कोट,पेंट,टाई जूते आदि कपड़े पहनते हैं, बहुतो को ब्रांड भी इम्पोर्टेड ही चाहिए। अंग्रेजों की तरह चम्मच से नाश्ता ग्रहण कर, विदेशियों के आविष्कृत वाहन में काम पर जाते हैं, पुरानी बैलगाड़ी, घोड़ागाड़ी, टमटम में बैठना रास नही आता। विदेशियों के आविष्कार बिजली का बल्ब, ट्यूब ,लैंप जलाकर घर और आॅफिस में काम करते हैं। यदि कुछ देर के लिए बिजली चली जाए तो तुरंत इन्वर्टर ,जनरेटर की कमी महसूस कर तुरन्त डिमांड करने लगते है, यह नहीं कि दिया,चिमनी, लालटेन,में काम करने का कष्ट करें. आधुनिक चिकित्सा प्रणाली से मेडिकल कॉलेज में इलाज कराने, सोनोग्राफी, एक्स रे,एम आर,आई वैक्सीन का उपयोग भी विदेशियों के आविष्कार से सम्भव हुआ है।

एक व्यक्ति गर्मी में विदेशियों के आविष्कृत एसी को चलाकर फिर से विदेशियों के द्वारा आविष्कृत कम्प्युटर या कागज़ पर काम कर रहा है। शाम को घर आकर विदेशियों के आविष्कार टीवी पर मनोरंजक कार्यक्रम, न्यूज, देख कर समय बिताता है। रात को फिर विदेशियों द्वारा आविष्कृत बिजली का उपयोग जारी रहता है, यहाँ तक विदेशियों द्वारा बताई विधि से फोन चार्ज करता है (चार्ज करने को हिन्दी में क्या कहते हैं, ये भी नहीं पता है)। विदेशियों के आविष्कृत पंखे या एसी या कूलर को आॅन करके नींद लेने की तैयारी करता है और फिर – विदेशी वस्तु स्मार्ट फोन पर विदेशियों के बनाए व्हाट्स एप और फेसबुक पर टाइप करते हैं। ये अंग्रेजो का नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं। हालांकि अंग्रेजी नववर्ष का बहिष्कार की अपील करने वाले बहुत से लोगों को हिन्दी कलेंडर के सारे महीने भी याद नहीं और घर और कार्यालय में लगभग हर चीज विदेश की बनी हुई है.और छुट्टियां मनाने भी विदेश जाना पसंद करते हैं । ऐसे में कुछ लोगों के द्वारा किसी संस्कृति के नववर्ष के बहिष्कार की बात अच्छी नही लगती। पर बढि?ा है,सोशल मीडिया के युग में जो भी चाहो ,जैसा चाहो लिख डालो और पोस्ट कर दो। पर जो भी कदम उठाएं सोच विचार कर ही करें.ताकि भविष्य में कभी पछतावा न हो।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *