Saturday, July 27

अमेरिका और भारत एक साथ मिलकर संकट के वक्त चीन को हिमाकत करने से रोक सकते हैं: माइक पोम्पियो

अमेरिका और भारत एक साथ मिलकर संकट के वक्त चीन को हिमाकत करने से रोक सकते हैं: माइक पोम्पियो


नई दिल्ली
टू प्लस टू मीटिंग के बाद किसी भी भारतीय न्यूज चैनल को दिए अपने पहले इंटरव्यू में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा है कि भारत और यूएस मिलकर चीन की हिमाकत को रोक सकते हैं। हमारे सहयोगी टाइम्स नाउ को दिए एक्सक्सूलिव इंटरव्यू में पोम्पियो ने ऐलान किया कि किसी भी तीसरे को हिमाकत से रोकने के लिए अमेरिका भारत का जितना सपोर्ट कर सकता है, उतना करेगा ताकि दोनों देश मिलकर ‘हिमाकत को रोक’ सकें। जब उनसे पूछा गया कि अगर 1962 जैसी युद्ध की स्थिति होती है तो क्या अमेरिका भारत की सैन्य तरीके से मदद पर विचार करेगा, तब पोम्पियो ने कहा, ‘आप उन चीजों को देख सकते हैं, जिन्हें हम कर रहे हैं। हमने चीन को अमेरिका में निवेश करने की राह को और कठिन बना दिया है। हम बस निष्पक्ष और पारस्परिक व्यापार चाहते हैं। हमने अपने सेना को ऐसे बनाया है जैसी अब तक कोई सेना नहीं रही है। हमारी कूटनीति में बदलाव आया है। …हम दुनियाभर के आजादी-पसंद देशों की मदद के लिए तैयार हैं।’

पेइचिंग को साफ संदेश देते हुए पोम्पियो ने कहा कि भारत ने भी अमेरिका की तरह लोकतंत्र, स्वतंत्रता और संप्रभुता को चुना है और अगर चाइनीज कम्यूनिस्ट पार्टी इसे चुनौती देगी तो आप निश्चित रहिए कि अमेरिका एक पार्टनर के तौर पर साथ खड़ा रहेगा। पोम्पियो ने कहा कि अमेरिका भारत का इसलिए साझेदार बनना चाहता है कि ‘दुनिया में आजादी और तानाशाही के बीच लड़ाई’ है। उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत के लोगों को सुरक्षा देने के लिए जिस भी कदम की दरकार होगी, उसके लिए तैयार है। पोम्पियो ने साथ में यह भी भरोसा जताया कि भारत भी दुनियाभर में अमेरिकियों के लिए ऐसा ही करेगा। पेइचिंग को साफ संदेश देते हुए पोम्पियो ने कहा कि भारत ने भी अमेरिका की तरह लोकतंत्र, स्वतंत्रता और संप्रभुता को चुना है और अगर चाइनीज कम्यूनिस्ट पार्टी इसे चुनौती देगी तो आप निश्चित रहिए कि अमेरिका एक पार्टनर के तौर पर साथ खड़ा रहेगा। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि उनका देश उम्मीद करता है कि एलएसी पर भारत और चीन के बीच तनाव कम होगा। पोम्पियो ने कहा कि यह चीन के भी हित में है, भारत के भी और दुनिया के भी हित में है। उन्होंने कहा कि हम वहां संघर्ष नहीं चाहते हैं। हम हर जगह शांति चाहते हैं। साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई भी देश किसी भी वक्त कमजोरी का परिचय देता है तो वह चाइनीज कम्यूनिस्ट पार्टी की आक्रामकता को न्योता देने की तरह है। उन्होंने श्रीलंका, मालदीव, इंडोनेशिया जैसे देशों से भी एकजुट होकर चीनी आक्रामकता का सामना करने की अपील की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *