Wednesday, December 11

कांग्रेस के वादों को मायावती ने बताया चुनावी छलावा, बीजेपी के लिए कहा- ‘शुरू हो चुके हैं बुरे दिन’

कांग्रेस के वादों को मायावती ने बताया चुनावी छलावा, बीजेपी के लिए कहा- ‘शुरू हो चुके हैं बुरे दिन’


लखनऊ
2022 में उत्तर प्रदेश के अंदर विधानसभा चुनाव होने है। चुनावों में केवल अब पांच महीने का समय ही शेष बचा है। ऐसे में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी समेत सभी राजनीतिक पार्टियां जोर-शोर से चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। तो वहीं, अपने पक्ष में मतदाताओं को करने के लिए राजनीतिक पार्टियां लोक-लुभावने वादे कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस बाकी दलों की तुलना में खुद को पीछे नहीं देखना चाहती है। यही वजह है कि तीन दशक से सत्ता का वनवास काट रही कांग्रेस ने 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने के बाद 21 अक्टूबर को एक और बड़ा ऐलान किया है।
 
कांग्रेस ने चुनावी छलावे के तहत् भाजपा व सपा की तरह ही अनेकों प्रकार के लोक लुभावन वादे आदि करने शुरू कर दिए हैं, जिसके तहत इस पार्टी ने यूपी में सरकार बनने पर उत्तीर्ण छात्राओं को स्मार्टफोन व स्कूटी देने की बात कही है, लेकिन मूल प्रश्न यह है कि इनपर विश्वास कौन व कैसे करे? इतना ही नहीं, मायावती ने अपने दूसर ट्वीट में पूछा कि 'कांग्रेस की राजस्थान व पंजाब में सरकार है तो क्या इन्होंने ऐसा कुछ वहां करके दिखाया है जो लोग उनकी बातों पर यकीन करे लें? नहीं किया है तो फिर लोग उनपर विश्वास कैसे करें? यही वजह है कि कांग्रेस व भाजपा आदि पार्टियों के दावों व वादों के प्रति जन विश्वास की घोर कमी है।' मायावती यही नहीं रुकी, उन्होंने बीजेपी भी जमकर निशाना साधा।
 
जनता से छल व वादाखिलाफी आदि के कारण कांग्रेस के बुरे दिन चल रहे हैं तथा इन्हीं कुछ खास कारणों से भाजपा के भी बुरे दिन शुरू हो चुके हैं। 'अच्छे दिन' का सपना दिखाकर लोगों पर महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि का पहाड़ तोड़ने का खामियाजा तो भाजपा को भी भुगतना पड़ेगा।

इससे पहले प्रियंका गांधी की विधानसभा चुनाव में महिलाओं को 40 प्रतिशत टिकट की घोषणा को मायावती ने कोरी चुनावी नाटकबाजी करार दिया था। मायावती ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि 'कांग्रेस जब सत्ता में होती है व इनके अच्छे दिन होते हैं तो इनको दलित, पिछड़े व महिलाएं आदि याद नहीं आतीं, किन्तु अब जब इनके बुरे दिन नहीं हट रहे हैं तो पंजाब में दलित की तरह यूपी में इनको महिलाएं याद आई हैं व उन्हें 40 प्रतिशत टिकट देने की घोषणा इनकी कोरी चुनावी नाटकबाजी।' महिलाओं के प्रति कांग्रेस की चिन्ता अगर इतनी ही वाजिब व ईमानदार होती तो केन्द्र में इनकी सरकार ने संसद व विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून क्यों नहीं बनाया? कांग्रेस का स्वाभाव है 'कहना कुछ व करना कुछ' जो इनकी नीयत व नीति पर प्रश्नचिन्ह खड़े करता है।

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