नई दिल्ली
यूपी, उत्तराखंड समेत देश के पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण चुनाव मणिपुर का है। वहां की भौगोलिक स्थिति के साथ उग्रवादी संगठन भी चुनाव आयोग के लिए सिरदर्द बने हुए हैं। हालांकि आयोग लगातार दावा कर रहा है कि भयमुक्त माहौल में मतदान होगा और हर दुर्गम इलाके में लोगों से वोटिंग करवाई जाएगी। इसके अलावा राज्य में लाइसेंसी बंदूकें भी एक बड़ी चुनौती हैं।
राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) राजेश अग्रवाल के मुताबिक 8 जनवरी को जब आदर्श आचार संहिता लागू हुआ थी, तो उसके बाद से राज्य में 15,240 लाइसेंसी हथियार जमा किए गए थे। ये कुल लाइसेंसी हथियारों का 58 प्रतिशत ही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि ये आंकड़ा 60 प्रतिशत के पार जाएगा। इसके लिए पुलिस-प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है। एक अन्य अधिकारी के मुताबिक मणिपुर में कुल 25,299 लाइसेंसी हथियार हैं।
राज्य में चुनाव करवाने में दूसरी बड़ी समस्या वहां सक्रिय उग्रवादी समूह हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा वक्त में 15-20 विद्रोही समूह सक्रिय हैं। उन्होंने अपनी शुरुआत अलगाववाद से की थी, लेकिन अब वो जबरन वसूली में सक्रिय हो गए हैं। अगर चुनाव आयोग और पुलिस-प्रशासन ने सख्ती ना दिखाई, तो ये चुनावी प्रक्रिया को भी प्रभावित करने से बाज नहीं आएंगे।
चुनाव प्रचार बीच में छोड़कर नवजोत सिद्धू फिर गए वैष्णो देवी, बीवी ने संभाला मोर्चा AFSPA का मुद्दा गर्माया मणिपुर में सशस्त्र बल विशेष शक्ति अधिनियम (AFSPA) लागू है। कुछ महीने पहले नागालैंड में सैन्य कार्रवाई में गलती से 14 लोग मारे गए थे। जिसके बाद पूर्वोत्तर में इसको हटाने की मांग तेज हो गई है। कांग्रेस लगातार वादा कर रही कि अगर उसकी सरकार बनी तो वो ज्यादातर इलाकों में से AFSPA हटा देगी। इसके अलावा कई जगहों पर इसको लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं। ऐसे में साफ है कि AFSPA का साया भी इस चुनाव पर जरूर पड़ेगा।