भागलपुर
भागलपुर जिले में कोरोना संक्रमण चरम पर था। वायरस के लक्षण से लेकर कोरोना से होने वाली परेशानी तक मरीज को संक्रमित होने की गवाही दे रही थी। ऐसे में इसका वायरस न केवल लक्षण संबंधी दावे को, बल्कि कोरोना जांच में कारगर माने जा रहे रैपिड एंटिजन टेस्ट किट से लेकर आरटीपीसीआर मशीनों को भी धोखा दे रहा था।
ऐसे में पैथोलॉजी जांच की रिपोर्ट ने कोरोना संक्रमित होने की गवाही दी और इसके बूते चिकित्सकों ने मरीजों का न केवल इलाज किया, बल्कि उन्हें पूरी तरह से स्वस्थ कर घर भी भेज दिया। कोरोना संक्रमण की पहचान में खून की जांच की जाती है। ये जांच इस बात की गवाही देती है कि संबंधित मरीज में कोरोना का वायरस है।
इसमें मरीजों के खून से लिए गये सैंपल के जरिये सीआरपी (सी-रिएक्टिव प्रोटीन), सीरम फेरेटनिन, डी-डाइमर और प्रोकैल्सीटोनिन की जांच रिपोर्ट अहम साबित हुई। जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी विभाग द्वारा हाल में जारी की गई रिपोर्ट इस बात की गवाही देती है कि कोरोना संक्रमण की पहचान में जब रैपिड एंटिजन टेस्ट किट व आरटीपीसीआर जांच गच्चा खा गये, तब अप्रैल से जुलाई में मायागंज अस्पताल में भर्ती 189 मरीजों में कोरोना संक्रमण की पहचान होने की पुष्टि पैथोलॉजिकल जांच रिपोर्ट ने की।