प्रयागराज
प्रवर्तन निदेशालय ने बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी से पूछताछ कर कई राज उगलवाए हैं। उसकी बेनामी संपत्तियों के बारे में पूछताछ के अलावा गुर्गों के बारे में भी जानकारी जुटाई है। ईडी की टीम मुख्तार के साथ उसके गुर्गों पर भी कार्रवाई करने वाली है। प्रवर्तन निदेशालय ने मुख्तार अंसारी से पूछताछ करने के लिए न्यायालय से पिछले दिनों अनुमति ली थी। इसके बाद रविवार को बांदा जेल में पूछताछ की। बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कुछ माह पहले ही मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। ईडी ने मुख्तार के खिलाफ दर्ज मुकदमे में करोड़ों की अवैध संपत्ति अर्जित करने को आधार बनाया था। मुख्तार के अलावा ईडी उनके दोनों बेटों अब्बास, उमर, समेत करीबी बृजनाथ यादव, संजय सागर और आनंद की संपत्तियों को लेकर भी जांच कर रही है।
ईडी का मानना है कि 49 मुकदमों की जांच करने वाली पुलिस ने मुख्तार अंसारी और गैंग की अवैध संपत्ति का जो आंकलन किया है, वह कम है। मुख्तार अंसारी, उनके परिवार के लोगों और गैंग के सदस्यों की करोड़ों की संपत्ति है। ऐसे में ईडी करोड़ों की नामी-बेनामी अवैध संपत्ति का पता लगाकर जल्द ही बड़ी कार्रवाई करने वाली है।मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय की तीन सदस्यीय टीम ने बांदा मंडल कारागार में मुख्तार अंसारी से छह घंटे सवाल-जवाब किए। बैरक से निकालकर अलग कमरे में ऑन कैमरा पूछताछ हुई। रविवार सुबह पौने 12 बजे जेल में दाखिल हुई टीम शाम करीब सवा छह बजे बाहर निकली। जेलर प्रमोद कुमार त्रिपाठी के मुताबिक, करीब डेढ़ माह पहले ईडी कार्यालय से फोन पर मुख्तार अंसारी के संबंध में कुछ जानकारियां ली गई थीं। रविवार को ईडी की तीन सदस्यीय टीम कारागार पहुंची। टीम के पास न्यायालय की अनुमति थी और पूछताछ मुख्तार के बैरक से बाहर ऑन कैमरा हुई। सितंबर में सीतापुर जेल में सपा नेता आजम खान से पूछताछ के बाद से ही ऐसी चर्चाएं थीं कि ईडी बांदा मंडल कारागार में मुख्तार अंसारी से भी कभी भी पूछताछ कर सकती है। ईडी मुख्तार के खिलाफ मामला पहले ही दर्ज कर चुकी है।
मुख्तार गिरोह के शूटरों को शरण देने वाले पांच और मददगार चिन्हित
लखनऊ। मुख्तार गिरोह के खास शूटर व एक लाख रुपये के इनामी अली शेर उर्फ डॉक्टर को लखनऊ व पड़ोसी जिलों में शरण देने वाले पांच और मददगारों को एसटीएफ ने चिन्हित कर लिया है। ये पांचों लोग मुख्तार से कई बार जेल में मिलने भी जा चुके है। पुलिस इनके खिलाफ कुछ और सुबूत जुटा रही है। अली शेर को मुठभेड़ में ढेर करने के बाद उसके मोबाइल से एसटीएफ को कई सुराग मिले हैं। एसटीएफ ने 27 अक्तूबर को फैजुल्लागंज में अलीशेर व उसके साथी कामरान को मुठभेड़ में मार गिराया था। अलीशेर मुख्तार का खास शूटर था और उसकी शह पर ही वह लम्बे समय से फरार चल रहा था। अलीशेर के मोबाइल से एसटीएफ को कई जरूरी जानकारियां मिली थी। इसके बाद ही एसटीएफ ने अलीशेर के शरणदाताओं का पता करना शुरू किया। पहले तो लखनऊ के सिर्फ दो शरणदाता चिन्हित हुए थे लेकिन अब सर्विलांस की मदद से पांच और मददगार पता कर लिये है। इनमें दो मददगार मऊ, गाजीपुर व अयोध्या में भी अलीशेर को शरण दिलाये थे।
एम्बुलेंस प्रकरण में भी मदद की
एसटीएफ का दावा है कि इनमें दो मददगारों ने एम्बुलेंस प्रकरण में भी अहम भूमिका निभायी थी। पर, इनका नाम तक सामने नहीं आया था। बताया जा रहा है कि ये मददगार एम्बुलेंस को पंजाब की मोहाली जेल तक पहुंचाने में मुख्तार गिरोह की मदद करते रहे थे। इनके बारे में मिले तथ्यों की पड़ताल की जा रही है। अगर सुबूत मिलते हैं तो इनके खिलाफ भी बाराबंकी में एफआईआर दर्ज करायी जायेगी।