नई दिल्ली
कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट भारत के लिए भी खतरे की घंटी है। हालांकि, अभी तक भारत में इस नए वैरिएंट के मामले सामने नहीं आए लेकिन कर्नाटक के बेंगलुरु में दो दक्षिण अफ्रीकी नागरिकों की रिपोर्ट जरूर पॉजिटिव आई है। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद स्थानीय प्रशासन की ओर से कहा गया कि दोनों ही डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित हैं, लेकिन अब इस मामले में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ के सुधाकर का चिंतित करने वाला बयान सामने आया है। सुधाकर ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के दोनों व्यक्ति जिनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है उनमें एक शख्स ऐसा है जो डेल्टा से नहीं बल्कि किसी दूसरी वैरिएंट की चपेट में है। हालांकि, ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर स्वास्थ्य मंत्री कोई टिप्पणी नहीं की। फिलहाल कर्नाटक सरकार ने दूसरे मामले की पुष्टि करने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से विदेशी नागरिकों में पाए गए वैरिएंट को लेकर स्पष्टता मांगी है।
राज्य सरकार ने आईसीएमआर और केंद्र से मांगी सलाह
सुधाकर ने कहा, 'मैं ओमिक्रॉन वैरिएंट का पता लगाने पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। हम केंद्र में ICMR और स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ इस पर चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति जो लगभग 63 साल का है, एक ऐसे वैरिएंट से संक्रमित पाया गया है जो डेल्टा वैरिएंट से अलग है। आईसीएमआर से सलाह ली गई है और हमें आज शाम तक स्थिति स्पष्ट कर देनी चाहिए। शुक्रवार को बेंगलुरु जिला प्रशासन ने दक्षिण अफ्रीका के दोनों नागरिकों को लेकर कहा था कि वो डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित हैं न कि दक्षिण अफ्रीका में मिले ओमिक्रॉन वैरिएंट से।
बीमारी की गंभीरता कम है
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि वो दक्षिण अफ्रीका समेत अन्य देशों में अपने सहयोगियों और चिकित्सा विशेषज्ञों से बात की है। उन्होंने कहा कि जिन चिकित्सकों ने नए वैरिएंट से संक्रमित रोगियों का इलाज किया है, वे कह रहे हैं कि यह तेजी से फैलता है लेकिन इसका विषाणु डेल्टा वैरिएंट जैसा नहीं है और इसमें बीमारी की गंभीरता कम है।
आईसीयू उपचार की जरूरत कम: सुधाकर
दक्षिण अफ्रीका समेत कई देशों के विशेषज्ञों की बातचीत के आधार पर सुधाकर ने कहा कि ओमिक्रॉन के लक्षण में मितली आना, हाई पल्स रेड आदि शामिल हैं, जबकि स्वाद चले जाना या फिर सूंघने की क्षमता कम होने को लेकर लक्षण स्पष्ट नहीं होते हैं। थकान लगती है लेकिन अस्पताल में भर्ती होने और आईसीयू उपचार की आवश्यकता कम है। उन्होंने कहा कि यह बताने वाले उनके सहयोगी डॉक्टर हैं जो पिछले 15 दिनों में नए वैरिएंट को लेकर अपने अनुभव साझा किए हैं।