जबलपुर
हाईकोर्ट ने पन्ना राजघराने की दिव्यारानी सिंह की याचिका दो हजार रुपए का जुर्माना लगाते हुए खारिज कर दी। जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने तथ्य छिपाकर याचिका दायर किए जाने के रवैये को आड़े हाथों लेकर यह आदेश पारित किया। सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से अतिरिक्तमहाधिवक्ता पुरुषेंद्र यादव ने याचिकाकर्ता के रवैये पर आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने अवगत कराया कि राज्य शासन ने 1994 में पन्ना राजघराने की निजी 50 एकड़ भूमि से सटी तीन हेक्टेयर शासकीय भूमि प्लांटेशन के मकसद से आवंटित कर दी थी। लेकिन, प्लांटेशन नहीं हुआ। कुछ समय बाद उस जमीन को अपनी निजी 50 एकड़ जमीन के साथ जोड़कर कब्जा कर लिया गया। 2013 में यह तथ्य राज्य सरकार के संज्ञान में आया। कब्जा खाली करने नोटिस जारी किया गया। इसके खिलाफ दिव्यारानी सिंह ने बोर्ड आफ रेवेन्यू में याचिका दायर कर दी। वहां से 2015 में याचिका खारिज कर दी गई। इस बीच नगर निगम, पन्ना ने विवादित भूमि पर सौंदर्यीकरण का प्रस्ताव पारित किया। फुटपाथ व लाइटिंग के साथ पौधरोपण की महत्वाकांक्षी योजना बनाई गई। इसके खिलाफ दिव्यारानी सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। लेकिन, पूर्व के सभी महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपा लिया। इस रवैये को गम्भीरता से लेकर पूर्व सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने शपथपत्र पर जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। लेकिन, जानकारी देने के स्थान पर अपना बचाव करने के लिए दिव्यारानी सिंह की ओर से याचिका वापस लेने का आवेदन कर दिया गया।