रायपुर। राज्य महिला आयोग कार्यालय में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई हुई। इस दौरान गर्भवती पत्नी को आयोग की समझाइश पर पति साथ रखने तैयार हो गया, वहीं 87 वर्षीय वृद्ध माँ को घर से बेघर करने वाले दोनो बेटों को थाना के माध्यम से आयोग में तलब किया जाएगा। साथ ही आवेदिका के मकान नीलामी पर फाइनेंस व इंश्योरेंस कंपनी को आयोग ने फटकार भी लगाई। सुनवाई के दौरान राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्यगण सुश्री शशिकांता राठौर, डॉ अनीता रावटे एवं श्रीमती अर्चना उपाध्याय की उपस्थिति थी।
आज सुनवाई के दौरान प्रस्तुत प्रकरण में आवेदिका ने एक फायनेंस कंपनी द्वारा आर्थिक एवं मानसिक प्रताडऩा का आवेदन दिया था। जिसमें आज सुनवाई के दौरान फायनेंस कंपनी के अनावेदक उपस्थित हुये।आवेदिका ने बताया कि उसके स्व. पति ने अपने व्यापार के लिए एक करोड़ एक लाख रुपए का लोन लिया था और उस लोन को सुरक्षित रखने के लिए निजी फायनेंस कंपनी में एक करोड़ एक लाख रुपए का इंश्योरेंस करवाया था। जिसमें से लोन का स्वीकृत राशि से पहले लगभग दो लाख बहत्तर हजार रुपए एक मुश्त इंश्योरेंस की राशि फायनेंस कंपनी द्वारा एचडीएफसी लाईफ इंश्योरेंस को दे दिया था। अनावेदक जो स्वयं को क्रैडिट मैनेजर के पद पर कार्य करना बताया और कंपनी के निर्णय के लिए रीजनल मैनेजर, कलेक्शन मैनेजर के द्वारा इस प्रकरण पर निर्णय लेने पर जिम्मेदार बताया। एचडीएफसी लाईफ से उपस्थित अनावेदक ने बताया कि एचडीएफसी लाईफ के बीएचआर-डिप्टी मैनेजर की उपस्थिति में ही प्रकरण का निराकरण किया जा सकेगा। इस पर आयोग के अध्यक्ष डॉ नायक ने मामले को गंभीरता से लेते हुये फायनेंस कंपनी एवं एचडीएफसी लाईफ के उच्च अधिकारियों को आगामी सुनवाई में उपस्थित होने के निर्देश दिये है। आवेदिका ने बताया कि दोनों कम्पनी वाले मिलकर धोखे से मेरे मकानों की नीलामी करने जा रहे हैं, जिसपर आयोग ने दोनों कम्पनियों को जनकर फटकार लगाई और नीलामी प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश भी अनावेदकों को दिया है।
एक अन्य प्रकरण में 87 वर्ष की महिला को घर से उनके बेटो द्वारा बेघर करने का मामले पर आगामी सुनवाई में थाना प्रभारी महासमुंद के माध्यम से अनावेदक को उपस्थित कराने के लिए आयोग की अध्यक्ष ने निर्देश दिए। इस मामले पर अनावेदक को सूचना मिलने पर भी सुनवाई में अनुपस्थित को गंभीर लापरवाही मानते हुए आगामी सुनवाई में पुलिस के माध्यम से उपस्थित कराया जाएगा। एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक भरण-पोषण की राशि 4 हजार रुपये को किश्तों में देगा।आयोग की समझाईस पर अनावेदक ने कहा कि वह प्रत्येक महीने के 5 तारीख तक एकमुश्त 4 हजार रुपए देगा । इस प्रकरण की निगरानी आयोग की काउंसलर द्वारा किया जाएगा इनके सामने भरण-पोषण राशि देंगे । इस आधार पर प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया।