Saturday, July 27

कैनवास पर उकेरा मेरे सपनों का भारत, कबड्डी कर फिट रहने दिया संदेश

कैनवास पर उकेरा मेरे सपनों का भारत,  कबड्डी कर फिट रहने दिया संदेश


भिलाई। भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रादेशिक लोकसंपर्क कार्यालय रायपुर द्वारा भिलाई इस्पात संयंत्र के सहयोग से नेहरू आर्ट गैलरी, सिविक सेंटर भिलाई में तीन दिवसीय चित्र प्रदर्शनी के आयोजन के दूसरे दिन सुबह 11 बजे से चित्र प्रदर्शनी की शुरूवात हुई। प्रदर्शनी का अवलोकन करने देर शाम तक लोग आते जाते रहे। इस दौरान विविध गतिविधियां भी स्टुडेंट्स द्वारा संपन्न हुई।

तीन दिवसीय चित्र प्रदर्शनी के दूसरे दिन सुबह 11 बजे से आजादी का अमृत महोत्सव पर आयोजित  चित्र प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया। दोपहर 1.30 बजे से मेरे सपनों का भारत विषय पर चित्र कला प्रतियोगिता संपन्न हुई। इस प्रतियोगिता में विभिन्न स्कूलों के बच्चों व एनसीसी कैडेट ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। कबड्डी प्रतियोगिता में लिया बढ़चढ़ कर हिस्सा।सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय विभाग के आयोजनकर्ता शैलेष फाए ने जानकारी देते हुए बताया कि दोपहर  3 बजे स्वच्छता अभियान से बदलती देश की तस्वीर विषय पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।

जिसमें भिलाई इस्पात संयंत्र के अधीनस्थ हायर सेकेंडरी स्कूल के छात्र-छात्राओं ने भाषण के माध्यम से अपने विचार प्रस्तुत किए। शाम 4 बजे छात्र-छात्राओं दव्झ स्वतंत्रता आंदोलन पर आधारित प्रश्नमंच हुआ। तत्पश्चात आजादी का अमृत महोत्सव और जनभागीदारी से जनआंदोलन विषय पर शिक्षाविद् डॉ डीएन शर्मा द्वारा परिसंवाद का आयोजन किया गया। जिसमें डॉ शर्मा द्वारा जनभागीदारी से जनआंदोलन विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए। शाम 6 बजे इस दिन का मुख्य आकर्षण फिट इंडिया मूवमेंट के अंर्तगत कबड्डी प्रतियोगिता रहा। जिसमें हायर सेकेंडरी के छात्र-छात्राओं ने बड़े ही उत्साह के साथ भाग लिया। देर शाम तक काफी संख्या में  लोग प्रदर्शनी देखने पहुंचे थे।

प्रादेशिक लोकसंपर्क कार्यालय रायपुर द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव विषय पर नेहरू आर्ट गैलरी सिविक सेंटर भिलाई में लगाई गई तीन दिवसीय चित्र प्रदर्शनी सह समेकित संचार एवं जागरूकता कार्यक्रम के द्वितीय दिवस आज आजादी का अमृत महोत्सव जन भागीदारी से जन आंदोलन विषय पर व्याख्यान देते हुए प्रसिद्ध शिक्षाविद और समाजसेवी डॉ डीएन शर्मा ने बताया कि जनभागीदारी से ही देश को आजादी मिली थी, सैकड़ों, हजारों छोटे छोटे आंदोलनों में जब जन भागीदारी बढ़ती गई तब इसने राष्ट्रीय स्तर पर जन आंदोलन का स्वरूप लिया और हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

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