14 साल बाद शिव ‘राज’ में फिर टूटी सामूहिक राष्ट्रगान की परंपरा, पीसी शर्मा ने सरकार को दिखाया आईना
पिछले 14 साल से मध्यप्रदेश में हर महीने की पहली तारीख को होने वाला सामूहिक राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान एक जून को आयोजित नहीं किया गया। इसके पीछे न तो सरकार की ओर से कोई कारण बताया गया न ही स्पष्टीकरण आया। ऐसे में सवाल उठता है कि जिस आयोजन की शुरुआत खुद पूर्व की शिवराज सरकार ने की थी और जिसका दायरा कमलनाथ सरकार ने बढ़ाया था आखिर वापस सत्ता में आने पर इस आयोजन के बारे में बीजेपी और शिवराज सरकार कैसे भूल गई।

मजेदार बात ये है कि कमलनाथ सरकार बनने के बाद जब सामूहिक राष्ट्रगान नहीं हो पाया था तो बीजेपी ने काफी हल्ला मचाया था। तब शिवराज सिंह चौहान ने यहां तक कह दिया था कि अगर कमलनाथ सरकार को राष्ट्रगीत गाने में शर्म आती है तो मैं मंत्रालय जाकर राष्ट्रगीत गाउंगा। इसके बाद तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने इसका दायरा बढ़ाते हुए न सिर्फ शौर्य स्मारक से मंत्रालय तक पैदल मार्च किया था बल्कि हर माह पुलिस बैंड के साथ राष्ट्रगान के आयोजन की मंजूरी दी थी लेकिन खुद शिवराज सरकार के इस कार्यकाल में ये परंपरा टूट गई।
ऐसे में सरकार से ‘द न्यूज हाउस’ के सवाल
- अगर कोरोना की वजह से ये आयोजन रद्द किया गया था तो इसकी पूर्व सूचना क्यों नहीं दी गई ?
- अगर फिजिकल डिस्टेंसिंग को ही वजह माना गया तो फिर इसका पालन हर जगह क्यों नहीं किया जा रहा ?
- बिना फिजिकल डिस्टेंसिंग रखे कोरोना काल में भी बीजेपी दफ्तर में कांग्रेस नेताओं को सदस्यता क्यों दिलाई गई ?
- कोरोना की वजह से सीएम शिवराज का पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधन क्यों रद्द नहीं किया गया ?
- जब पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने मंत्रालय के बाहर राष्ट्रगान किया तो क्या अधिकारी राष्ट्रगान की परंपरा नहीं निभा सकते थे ।
- क्या बीजेपी और स्वयं शिवराज सिंह चौहान इस परंपरा के टूटने पर खेद प्रकट करेंगे ?
बीजेपी पर बरसे पीसी शर्मा
द न्यूज हाउस के इस सवाल पर बीजेपी नेता कन्नी काटते नजर आए। जबकि पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने इस मुद्दे को लेकर बीजेपी पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि बीजेपी जब अपने सारे कार्यक्रम आयोजित कर रही है तो फिर राष्ट्रगान की परंपरा को क्यों तोड़ा गया। खास बात ये कि पीसी शर्मा जरुर सोमवार को मंत्रालय पहुंचे और उन्होंने अपने साथियों के साथ मंत्रालय के बाहर राष्ट्रगान किया।

‘निभाई जानी थी परंपरा’
वहीं कर्मचारी नेता उमाशंकर तिवारी ने भी द न्यूज हाउस की खबर पर कहा कि सरकार को इस परंपरा का पालन करना चाहिए था आखिर जब सारे कामकाज फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ हो रहे हैं तो सरकार ने इस परंपरा को निभाने की कोशिश क्यों नहीं की ? तिवारी के मुताबिक ‘इस बारे में कोई सर्कुलर भी जारी नहीं किया गया और केवल इतनी वजह बताई गई कि फिजिकल डिस्टेंसिंग रखने की वजह से ये आयोजन नहीं किया जा रहा है।’ खैर अब देखना बाकी है कि राज्य सरकार इस परंपरा के टूटने पर क्या सफाई देती है।
नहीं मिली जीएडी से सूचना
राष्ट्रगान के लिए टेंट और साउंड सिस्टम की व्यवस्था करने वाले अधीक्षण शाखा के सुनील मंडावी ने बताया कि ‘हर माह हमें सामान्य प्रशासन विभाग से सामूहिक राष्ट्रगान के लिए तमाम व्यवस्था करने का आदेश जारी होता था लेकिन इस बार हमें कोई सूचना नहीं मिली इसलिए हमने भी राष्ट्रगान के लिए कोई व्यवस्था नहीं की।’
कुल मिलाकर ये मुद्दा सरकार के लिए गले की फांस बन गया है क्योंकि एक तरफ बीजेपी मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाने के लिए वर्चुअल रैली करने जा रही है तो फिर सालों पुरानी परंपरा निभाने के लिए क्या वर्चुअल राष्ट्रगान नहीं किया जा सकता था ।
EDIT BY : DIPESH JAIN