Thursday, October 3

अब कुशाभाऊ ठाकरे हॉल के नाम से जाना जायेगा मिंटो हॉल

अब कुशाभाऊ ठाकरे हॉल के नाम से जाना जायेगा मिंटो हॉल


भोपाल

भोपाल के मिंटो हॉल का नाम बदलेगा। CM शिवराज सिंह चौहान ने BJP प्रदेश कार्यसमिति की मीटिंग में घोषणा की कि अब मिंटो हॉल का नया नाम कुशाभाऊ ठाकरे हॉल होगा। इसी मिंटो हॉल में मीटिंग हुई थी।

मिंटो हॉल की नींव 112 साल पहले वर्ष 1911 में रखी गई थी। इसे बनने में 24 साल लग थे। मिंटो हॉल मध्यप्रदेश के बनने से लेकर पहली सरकार के गठन तक का साक्षी रहा है। पहली सरकार ने शपथ इसी हॉल में लिया था। भवन की खूबसूरती देखते ही बनती है। पुरानी विधानसभा रहे मिंटो हॉल में कई सेलिब्रिटी आ चुकी हैं और इसकी खूबसूरती की तारीफ कर चुकी है। सरकार हॉल में विभिन्न आयोजन करती है। यही हॉल आने वाले दिनों में कुशाभाऊ ठाकरे के नाम से जाना जाएगा।

अच्छे रिश्तों का प्रतीक है मिंटो हॉल
मिंटो हॉल ब्रिटिश और भोपाल रियासत के अच्छे रिश्तों का प्रतीक तो है ही, यह उस समय के इंग्लैंड में चल रहे राजनीतिक परिदृश्य का प्रतिबिंब भी है। मिंटो हॉल शहर के दूसरे महलों से अलग क्यों और कैसे है, इस पर इतिहासकारों की अपनी राय है।

जानकारी के अनुसार, 1909 में जनवरी की शुरुआत में भारत के वायसराय व गवर्नर जनरल लॉर्ड मिंटो ने भोपाल की बेगम को संदेश भिजवाया कि वे भोपाल आना चाहते हैं। बेगम ने उनके स्वागत की तैयारी जोरों से शुरू कर दी। नवंबर 1909 में लॉर्ड मिंटो अपनी पत्नी के साथ भोपाल आए। उसी साल इंडियन कांउसिल एक्ट लागू हुआ था। इसके तहत ब्रिटिश राज्य ने रियासतों के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने के लिए फैमिली जैसे रिलेशन रखने की शुरुआत की थी। पत्नी के साथ मिंटो का दौरा इसी एक्ट के तहत था।

  •     प्रिंस ऑफ वेल्स जॉर्ज पंचम 1911 में अगले महाराज होंगे, इसकी घोषणा 1909 में हुई। जॉर्ज पंचम को खुश करने के लिए ही मिंटो हॉल का आकार जॉर्ज पंचम के मुकुट के आकार का रखा गया था।
  •     मिंटो हॉल को बनने में 24 साल लगे। इसके लिए बहुत सारा मैटेरियल इंग्लैंड से मंगवाया गया था। जिसमें रॉट आयरन की ढली हुई सीढ़ियां, फॉल्स सीलिंग थी। तीन लाख रुपयों का खर्च आया था।
  •     बाद में, मिंटो हॉल भोपाल राज्य की सेना का मुख्यालय भी बना। 1946 में मिंटो हॉल में इंटर कॉलेज लगना शुरू हुआ, जिसका नाम बाद में बदल कर हमीदिया कॉलेज रख दिया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *