नई दिल्ली
भारत सरकार चीन और पाकिस्तान सीमा पर तेजी से सड़क नेटवर्क बनाने में लगी हुई है। लेकिन एनएचएआईडीसीएल में शीर्ष अधिकारियों के पद रिक्त होने की वजह से सड़क परियोजनाओं में देरी हो रही है। विभाग में नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय सचिवालय को दो बार पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन अभी तक विभाग में किसी की नियुक्ति नहीं की गई है।
एनएचएआईडीसीएल के पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) के.के. पाठक को पिछले महीने प्रोन्नति के बाद बिहार कैडर वापस भेज दिया गया है। इसको देखते हुए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के संयुक्त सचिव कमलेश चतुर्वेदी ने बगैर देरी के 1 अक्तूबर को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में संयुक्त सचिव सी. श्रीधर व केंद्रीय सचिवालय में संयुक्त सचिव अमनदीप गर्ग को खाली पदों को भरने के लिए पत्र लिखा। कोई कार्रवाई नहीं होते देख उन्होंने एक हफ्ते के भीतर यानी 7 अक्तूबर को पुन: दोनों अधिकारियों को पत्र लिखा।
प्रतिदिन होने वाले कार्य बाधित
एनएचएआईडीसीएल के प्रबंधक निदेशक का अतिरिक्त प्रभार मंत्रालय के संयुक्त सचिव मोहम्मद अहमद को 1 अक्तूबर को सौंपा गया है। विभाग में भारतीय लेखा परीक्षा व लेखा सेवा के अधिकारी मनोज सहाय को कनिष्ठ होने के कारण शीर्ष स्तर के प्रबंध निदेशक का अतिरिक्त भार नहीं दिया जा सकता है। जबकि वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी (इंजीनियर) वी.के. रजावत का एनएचएआईडीसीएल में प्रतिनियुक्ति कार्य काल पूरा होने के कारण उनका तबादला मंत्रालय कर दिया गया है।
2 लाख करोड़ की परियोजना पर काम कर रहा विभाग
जानकारों का कहना है कि एनएचआईडीसीएल दो लाख करोड़ की लागत वाली राजमार्ग परियोजनाओं पर काम कर रहा है। इसमें प्रमुख रूप से चीन-पाकिस्तान बॉर्डर रोड कनेक्टिविटी और टनल परियोजनाएं शामिल हैं। मुखिया के अभाव में नई सड़क व टनल परियोजनओं को मंजूरी में देरी हो रही है। वहीं, चालू परियोजनाएं प्रभावित हो रही हैं। जबकि सरकार ने बॉर्डर पर चीन से तनाव को देखते हुए सभी परियोजनाओं को तय समय से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा है।