भोपाल
कोरोना काल के कारण दो साल से टॉपर बने विद्यार्थियों को पीजी में प्रवेश लेने पिछले साल तक यूजी की डिग्री करने में रुक-रुक कर पास होने वाले विद्यार्थियों ने पछाड़ दिया है। अभी तक उच्च शिक्षा विभाग पीजी की दो लाख 35 हजार सीटों में से डेढ़ लाख सीटों पर प्रवेश हो चुके हैं और करीब 85 हजार सीटों पर प्रवेश होना शेष है।
पीजी में दाखिला हेने कॉलेज लेवल काउंसलिंग (सीएलसी) से प्रवेश लेने टॉपर विद्यार्थियों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा रहा है। उनके लिए परेशानी का कारण कोई और नहीं बल्कि गत वर्ष तक रुक-रुक कर यूजी की डिग्री करने वाले 25 हजार विद्यार्थी हैं, जिन्हें प्रवेश मिल चुके हैं। उनके चलते यूजी के प्रथम के बाद दूसरे वर्ष में टॉप करने वाले विद्यार्थी अभी तक अच्छे कॉलेजों में प्रवेश नहीं ले पाए हैं। इसकी वजह विवि द्वारा समय पर अंतिम वर्ष का रिजल्ट जारी नहीं करना और विभाग की आॅनलाइन प्रवेश व्यवस्था है। इससे टॉपर विद्यार्थियों को सबसे निचले पायदान पर रखा है।
विभाग ने एनसीसी, एनएसएस और स्कॉउड के विद्यार्थियों को प्रथम, मप्र के विद्यार्थी दूसरे, मप्र के बाहर के विद्यार्थी तीसरी और चतुर्थ श्रेणी में रिजल्ट रुके विद्यार्थियों को रखा है। इसलिए पहली सीएलसी में करीब 70 हजार प्रवेश हुए हैं। इसमें 55 हजार विद्यार्थी गत वर्ष के अंतिम वर्ष की डिग्री करने वाले विद्यार्थी शामिल हैं। अभी तक राज्य का कोई भी विवि यूजी के अंतिम वर्ष का रिजल्ट जारी नहीं कर सका है, जिसके कारण वे प्रथम और दूसरे वर्ष के नंबर होने पर मेरिट में स्थान नहीं बना पा रहे हैं।
सीएलसी में विभाग मेरिट जारी करता है, तो विद्यार्थी अपने पसंद के कॉलेज की मेरिट में स्थान नहीं पाता है। इसके चलते वे दूसरे आवंटित कॉलेज में प्रवेश लेना चाहते हैं। इसके चलते दोनों कॉलेजों की सीटें ब्लॉक हो जाती हैं। प्रोफेसरों का कहना है कि विभाग को हर दिन मेरिट बदलना चाहिए, ताकि आवंटित विद्यार्थी को हटाकर वेटिंग के विद्यार्थी को प्रवेश मिल सके। इससे सभी विद्यार्थियों को अपने पसंद के कॉलेज में प्रवेश मिल जाएंगा और विद्यार्थियों में असमजंस की स्थिति साफ हो जाएगी।