शहद आपके खून के लिए अच्छा है
(Desk- Vaundhara)शहद शरीर पर अलग-अलग तरह से असर डालता है, जो इस पर निर्भर करता है कि आप उसका सेवन कैसे करते हैं। अगर शहद को गुनगुने पानी में मिलाकर पिया जाए तो उसका खून में लाल रक्त कोशिकाओं (आरबीसी) की संख्या पर लाभदायक असर पड़ता है। लाल रक्त कोशिकाएं मुख्य रूप से शरीर के विभिन्न अंगों तक खून में ऑक्सीजन पहुंचाती हैं। शहद और गुनगुने पानी का मिश्रण खून में हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाता है, जिससे एनीमिया या खून की कमी की स्थिति में लाभ होता है। आयरन की कमी यानी एनीमिया की स्थिति तब आती है जब आहार में लौह तत्व को कम मात्रा में ग्रहण किया जाता है या शरीर उसे पर्याप्त रूप से सोख नहीं पाता। इससे रक्त की ऑक्सीजन ढोने की क्षमता प्रभावित होती है। ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम होने से थकान, सांस फूलना और कई बार उदासी और दूसरी समस्याएं होती हैं। शहद रक्त की ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता को बढ़ाते हुए इन समस्याओं को कम कर सकता है।
शहद आपके रक्तचाप में फायदेमंद
शहद का नियमित सेवन सर्कुलेटरी सिस्टम और रक्त की केमिस्ट्री में संतुलन को पाने में न सिर्फ आपकी मदद करता है, बल्कि आपको ऊर्जावान और फुर्तीला भी बनाए रखता है। अगर आपको निम्न रक्तचाप की शिकायत है और अगर आप नीचे बैठे-बैठे अचानक उठने की कोशिश करते हैं तो आपको चक्कर आ जाते हैं। निम्न रक्तचाप का मतलब दिमाग में ऑक्सीजन का कम मात्रा में पहुंचना है। इसी तरह से अगर आप अपना सिर नीचे करते हैं और आपको चक्कर आते हैं तो इसका मतलब है कि आपको उच्च रक्तचाप की समस्या है। या तो उच्च रक्तचाप की वजह से या फिर ऑक्सीजन की कमी की वजह से आपको चक्कर आते हैं।
शहद चीनी से कम नुकसानदायक है
शरीर पर सफेद चीनी के हानिकारक प्रभावों के बारे में बहुत कुछ कहा गया है। शहद उसका एक बढ़िया विकल्प है जो उतना ही मीठा है मगर उसका सेवन अहानिकर है। हालांकि शहद के रासायनिक तत्वों में भी सिंपल शुगर होती है मगर वह सफेद चीनी से काफी भिन्न होती है। उसमें करीब 30 फीसदी ग्लूकोज और 40 फीसदी फ्रक्टोज होता है यानि दो मोनोसेकाराइड या सिंपल शुगर और 20 फीसदी दूसरे कांप्लेक्स शुगर होते हैं। शहद में एक स्टार्ची फाइबर डेक्सट्रिन भी होता है। यह मिश्रण शरीर में रक्त शर्करा का स्तर संतुलित रखता है।
शहद पाचन में मदद करता है
शहद कब्ज, पेट फूलने और गैस में लाभकारी होता है क्योंकि यह एक हल्का लैक्सेटिव है। शहद में प्रोबायोटिक या सहायक बैक्टीरिया भी प्रचुर मात्रा में होते हैं जो पाचन में मदद करते हैं, प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाते हैं और एलर्जी को कम करते हैं। टेबल शुगर की जगह शहद का इस्तेमाल आंतों में फंगस से पैदा हुए माइकोटॉक्सिन के विषैले प्रभावों को कम करता है।