रतलाम
माणकचौक स्थित महालक्ष्मी मंदिर में पांच दिवसीय दीपोत्सव के लिए श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए जेवर, नगदी से श्रृंगार शुरू हो गया है। मंदिर परिसर में नोटों को लड़ियां लगाई जा रही हैं। श्रद्धालुओं ने सोने के हार, चांदी के जेवर, चांदी की कटोरी व नकदी दी। मंदिर परिसर में सजावट की व्यापक तैयारियां की जा रही है। धनतेरस से भाईदूज तक पांच दिवसीय दीपोत्सव में श्रद्धालुओं द्वारा दिए जाने वाले जेवर, नकदी, हीरे, मोती की सजावट के लिए विख्यात हुए शहर के माणकचौक स्थित महालक्ष्मी मंदिर पर इस बार भी सजावट पहले जैसी ही होगी। लगातार दूसरे साल कोरोना के चलते कुबेर पोटली का वितरण नहीं किया जाएगा। सजावट के लिए नकदी, आभूषण आदि सामग्री देने का सिलसिला लगातार जारी है।
मालूम हो कि हर साल श्रद्धालुओं द्वारा दी गई सामग्री से महालक्ष्मी मंदिर की सजावट के बाद पट धनतेरस पर तड़के शुभ मुहूर्त में खोले जाते हैं। भाईदूज के बाद श्रद्धालुओं को उनकी सामग्री वापस कर दी जाती है। मान्यता है कि मंदिर में सामग्री देने के बाद वापस लेकर घर में रखने पर वर्षभर महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। मंदिर के पंडित संजय पुजारी ने बताया कि श्रद्धालु सामग्री दे रहे हैं। रजिस्टर में जानकारी दर्ज कर टोकन दिए जा रहे हैं। सजावट शुरू हो गई है जो धनतेरस के पहले पूरी हो जाएगी।
इस तरह रहेगी दर्शन व्यवस्था
– मंदिर के बाहर से ही दर्शन किए जा सकेंगे। लाइन लंबी लगे, इस मान से बैरिकेडिंग की जाएगी।
– बाहर ऊंचाई पर लगाए तखत पर चढ़कर श्रद्धालु महालक्ष्मी दर्शन कर सकेंगे।
– बाहर ही पूजन व आरती के लिए व्यवस्था होगी।
श्रृंगार में यह सामग्री देते हैं भक्त
जेवर, नकदी, तिजोरी, हीरे-मोती, सोने-चांदी के नोट, श्रीयंत्र आदि।