नई दिल्ली
दिवाली और छठ के दौरान त्योहारी सीजन को देखते हुए मांग बढ़ने से महंगाई के भी बढ़ने के आसार हैं। सितंबर महीने में भले ही महंगाई दर पिछले महीनों के मुकाबले कम रही हो लेकिन अक्टूबर में इसके और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। जानकारों के मुताबिक, खास तौर पर सब्जियों और फलों के दामों में ज्यादा तेजी रहेगी। इसके पीछे महंगे पेट्रोल डीजल के और पिछले कुछ महीनों में हुई तेज बारिश को वजह माना जा रहा है। केयर रेटिंग की वरिष्ठ अर्थशास्त्री कविता चाको ने हिंदुस्तान को बताया कि अक्टूबर में खुदरा महंगाई दर सितंबर में 4.35 फीसदी के मुकाबले ज्यादा रहेगी। हालांकि उन्होंने ये भी उम्मीद जताई है कि ये सालाना आधार पर 5 फीसदी के नीचे बनी रह सकती है। उनके मुताबिक करीब-करीब सभी क्षेत्रों में महीने दर महीने के आधार पर दामों में बढ़त देखने को मिल सकती है। दरअसल, सितंबर के मुकाबले अक्टूबर महीने में सब्जियों के दामों में तेजी देखी गई है। इसके पीछे देश के कई इलाकों में पिछले साल के मुकाबले भारी बारिश से खराब हुई फसल को जिम्मेदार माना जा रहा है। साथ ही ऊंचे पेट्रोल और डीजल के दामों की वजह से ट्रांसपोर्ट की बढ़ी लागत के असर से भी दामों के स्तर बढ़ रहे हैं।
बढ़ती महंगाई को काबू करने के हाल ही में किए गए सरकारी प्रयास भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। सरकार ने इसी महीने खाद्य तेलों पर लगने वाली इम्पोर्ट ड्यूटी घटाई थी लेकिन विशेषज्ञों का आंकलन है कि इस कदम के बाद भी खाद्य तेलों की महंगाई दर दोहरे अंकों में बनी रहेगी। आंकलन के मुताबित, देश में कुल जरूरत के मुकाबले 54 फीसदी से भी ज्यादा खाद्य तेलों का आयात किया जाता है। मौजूदा समय में दुनियाभर में बढ़ती खपत के चलते इसके दाम बढ़े हैं। वैश्विक अनुमान के मुताबिक फरवरी 2020 के मुकाबले जुलाई 2021 तक इनके दाम 60 फीसदी के करीब बढ़ चुके हैं। सितंबर महीने में भी इसकी महंगाई में 30 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है। अक्टूबर में त्योहारी सीजन की मांग बढ़ने से दाम में ज्यादा नरमी के आसार कम ही हैं।
पाम ऑयल निर्यात करने वाले मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों में लेबर की कमी के चलते भी उत्पादन प्रभावित हो रहा है। ऐसे में सरकार की तरफ से ड्यूटी घटाने का प्रयास भी नाकाफी लग रहा है। केंद्र सरकार ने 13 अक्टूबर को पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल की कच्ची किस्मों पर मार्च 2022 तक के लिए बेसिक कस्टम ड्यूटी खत्म कर दी थी।