बिलासपुर
महिला एवं बाल विकास विभाग की संसदीय सचिव श्रीमती रश्मि सिंह ने बिलासपुर में आज संभाग स्तरीय नेशनल ट्रायबल डांस फेस्टिवल का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के इतिहास एवं संस्कृति में आदिवासी समाज का महत्वपूर्ण योगदान है। राज्य सरकार आदिवासी नृत्य महोत्सव के माध्यम से राज्य की प्राचीन संस्कृति से देश-दुनिया का परिचय कराने के साथ उसे विश्व पटल पर स्थापित करने का प्रयास कर रही है।
आदिवासी विकास विभाग द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति छात्रावास परिसर जरहाभाटा में आयोजित एक दिवसीय कार्यक्रम में संभाग के विभिन्न जिलों के 16 नर्तक दलों ने भाग लिया। इन दलों में 463 कालाकारों ने रंग बिरंगे पारम्परिक वेशभूषा के साथ आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किये। इन नर्तक दलों द्वारा पारम्परिक डंडा नृत्य, विवाह एवं फसल कटाई के दौरान किये जाने वाले नृत्य, गेड़ी नृत्य, बार नृत्य, बैंगा जनजाति के विवाह उत्सव में किया जाने वाला नृत्य, करमा नृत्य एवं पारम्परिक त्यौहारों के दौरान किये जाने वाले नृत्य एवं देवार लोकगीतों की प्रस्तुति दी गई। जिसका अतिथियों एवं दर्शकों ने आनंद उठाया। इस प्रतियोगिता में विजेता दलों को राज्य स्तरीय नेशनल ट्रायबल डांस फेस्टिवल में भाग लेने का मौका मिलेगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए छ.ग. पर्यटन मंडल के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने कहा कि आदिवासी समाज की संस्कृति अक्षुण्ण रही है। राज्य सरकार द्वारा आदिवासी कला एवं संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिससे छत्तीसगढ़ की पहचान बनी है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में यह आयोजन भव्य स्तर पर किया जाएगा और इस आयोजन के लिए आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों के सुझाव भी लिये जाएंगे। महापौर रामशरण यादव ने कहा कि आदिवासी समाज की बहुत सी परम्पराएं है, जिससे सामान्य वर्ग परिचित नहीं है इसलिए जब भी इस तरह के आयोजन हो तो आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों से भी सुझाव लिया जाए, जिसका लाभ सभी को मिलेगा।