रायपुर
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके से राजभवन में गुजरात के पत्रकारों के समूह ने आज मुलाकात की। पत्रकारों के समूह ने राज्यपाल को पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया। राज्यपाल ने उन्हें छत्तीसगढ़ का स्मृति चिन्ह प्रदान किया। राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ वन संसाधनों से परिपूर्ण आदिवासी बहुल राज्य है। यहां की संस्कृति और परंपराएं अनूठी है। यहां के पर्यटन स्थल मन मोह लेते हैं। यहां का बस्तर दशहरा पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस अवसर पर रथयात्रा होती है, जो श्रद्धालुओं द्वारा खींची जाती है।
इस पर्व का प्रत्येक चरण अनूठा है। इसकी तैयारी काफी पहले से की जाती है। लकडि?ों से रथ तैयार किया जाता है। इस रथ को आदिवासियों द्वारा चुराने की रस्म की जाती है, उसे बाद में बस्तर के राजा द्वारा खोजा जाता है और खोजकर देवताओं की पूजा की जाती है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र पांचवी अनुसूची के तहत आते हैं, जहां राज्यपाल को आदिवासियों के संरक्षण के लिए विशेष अधिकार प्राप्त है। उन्होंने बताया कि जबसे उन्होंने राज्यपाल का दायित्व ग्रहण किया तबसे उन्होंने यह प्रयास किया कि राजभवन के दरवाजे जो भी आए, उनकी तकलीफों को सुनूं और उन्हें दूर करने का प्रयास करूं। उन्होंने राजभवन की परंपरागत विशिष्ट अवधारणा को समाप्त करने का प्रयास किया है। राजभवन के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं, वे छत्तीसगढ़ की जनता की संरक्षक हैं और सभी वर्गों के कल्याण के लिए कार्य करती हैं।
पत्रकारों के समूह ने बताया कि उन्होंने पुरखौती मुक्तांगन और सिरपुर का भ्रमण किया है। पुरखौती मुक्तांगन में आदिवासी परंपराओं और संस्कृति की जानकारी मिली। उन्हें गुजरात के आदिवासियों की संस्कृति और परंपराओं और यहां के आदिवासियों की संस्कृति में साम्यता महसूस हुई। जब उन्होंने सिरपुर को देखा तो उन्हें गुजरात में स्थित लोथल का स्मरण हुआ। उन्होंने राज्यपाल सुश्री उइके को गुजरात आने का आग्रह भी किया।
इस अवसर पर राज्यपाल के सचिव अमृत कुमार खलखो, पी.आई.बी. रायपुर के सहायक निदेशक सुनील तिवारी, पत्र सूचना कार्यालय अहमदाबाद के कंडक्टिंग अधिकारी जितेन्द्र यादव, जतिन आर. भट्ट, सुश्री अस्मिता दवे, सुश्री गीता मेहता, सुश्री जलपा व्यास उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि गुजरात से पत्रकारों का यह समूह ''एक भारत-श्रेष्ठ भारतझ् कार्यक्रम के तहत छत्तीसगढ़ के भ्रमण पर हैं।