लखनऊ
आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। सूबे की विपक्षी पार्टियां एक दूसरे से गठबंधन करने की बजाए एक दूसरे को कमजोर करने की राजनीति कर रही हैं। सपा के चीफ अखिलेश यादव ने भी बसपा को कमजोर करने की कवायद शुरू कर दी है। एक-एक कर बीएसपी के नेता सपा में जा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ सपा ने अम्बेडकर वाहिनी का गठन किया है जो गांव गांव जाकर दलितों को समाजवाद की विचारधारा से जोड़ने का काम करेगी। सपा के सूत्रों की माने तो अखिलेश की कोशिश बसपा से नाराज और बीजेपी के एंटी नेताओं को सपा में लाने की है। इसी रणनीति पर चलते हुए अखिलेश अब तक आर एस कुशवाहा, रामअचल राजभर और लालजी वर्मा जैसे नेताओं को सपा से जोड़ने में कामयाब हो चुके हैं।
दलित वोट बैंक को रिझाने में जुटी सपा बसपा के दलित वोटबैंक को रिझाने के लिए अखिलेश यादव ने बाबा साहब वाहिनी विंग का गठन किया है। अखिलेश ने इस विंग का पहला राष्ट्रीय अध्यक्ष मिठाई लाल भारती को बनाया है। बसपा से सपा में आए दलित नेताओं के सुझाव पर इस वाहिनी का गठन किया गया है, जिसका मुख्य उद्देश्य दलित वोटर्स को सपा से जोड़ने का है। मिठाई लाल भारती कुछ समय पहले बसपा छोड़ कर सपा में शमिल हुए थे। बलिया के रहने वाले मिठाई लाल भारती बसपा के पूर्वांचल जोनल के कोआर्डिनेटर भी रहे चुके हैं।
वीर सिंह, राम अचल राजभर, लालवर्मा को लाने में कामयाब बसपा नेताओं का सपा की तरफ लगातार रुझान बढ़ रहा है। बसपा के दिग्गज नेता एक -एक कर पार्टी छोड़ कर सपा से साथ आ रहे हैं। वीर सिंह सरीखे नेताओं का सपा के साथ जुड़ना मायावती के लिए झटका है। वीर सिंह पहले बामसेफ में सक्रिय थे और बसपा के संस्थापक सदस्य थे। तीन बार राज्यसभा सदस्य और प्रदेश महासचिव रहे। महाराष्ट्र प्रभारी के साथ बसपा के कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। उनका सपा में जाना बसपा के लिए बड़ा झटका है।
इसके अलावा बसपा छोड़ने वालों की लंबी फेहरिस्त में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर, पूर्व राष्ट्रीय महासचिव आर एस कुशवाहा, विधानसभा में बसपा के नेता रह चुके लालजी वर्मा शामिल हैं। बसपा के कई दिग्गजों ने छोड़ा मायावती का साथ उस समय स्वामी प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, चौधरी लक्ष्मी नारायण, लालजी वर्मा, नकुल दुबे, रामवीर उपाध्याय, ठाकुर जयवीर सिंह, बाबू सिंह कुशवाहा, फागू चौहान, दद्दू प्रसाद, वेदराम भाटी, सुधीर गोयल, धर्म सिंह सैनी, इंद्रजीत सरोज, राम अचल राजभर, राकेश धर त्रिपाठी और राम प्रसाद चौधरी को महत्वपूर्ण मंत्रालय सौंपे गए थे। इनमें से अब नकुल दुबे सरीखे कम लोकप्रिय नेता ही बसपा में बचे हैं।