भागलपुर
बहुप्रतीक्षित किशोरों को कोरोना का टीका लगाने की चाहत जल्द ही पूरी होगी। अहमदाबाद की फार्मा कंपनी जायडस कैडिला का जायकोव-डी टीके को 12 से 17 साल के किशोरों को लगाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। स्वास्थ्य विभाग ने अपने स्तर से तैयारी शुरू कर दी है। जायकोव-डी टीके को तैयार करने में केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी और आईसीएमआर ने जायडस कैडिला को सहयोग किया है। अगर सब कुछ सही रहा तो दिसंबर से किशोरों को स्प्रिंगयुक्त डिवाइस के जरिये कोरोना का टीका लगाने का अभियान शुरू हो जायेगा।
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. मनोज कुमार चौधरी ने बताया कि दो नवंबर को पटना में स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्प्रिंगयुक्त डिवाइस (डिस्पोजेबल जेट एप्लीकेटर) के जरिये किशोरों को कोरोना का टीका लगाने की ट्रेनिंग दी गयी थी। इसमें सूबे के हरेक जिले के जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारियों ने भाग लिया था। उन्होंने बताया कि जायकोव-डी टीके की डोज शरीर में जैसे ही जाएगी, टीका शरीर की कोशिकाओं को कोड देगा। इसके बाद शरीर में वायरस के बाहरी हिस्से जैसा दिखने वाला स्पाइक बनने लगेगा। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इसे खतरा मानकर एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देगी और शरीर कोरोना से बचने को तैयार हो जाएगा।
जायकोव-डी प्लाजमिड डीएनए वैक्सीन है जिसे वायरस के जेनेटिक के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें इस्तेमाल किया गया जेनेटिक डीएनए का अणु फैल नहीं सकता है, जिसे प्लाजमिड कहते हैं। वैक्सीन को बनाने में इस्तेमाल हुए प्लाजमिड में कोडिंग है, जो शरीर में कोरोना के जैसा स्पाइक प्रोटीन बनाने के लिए निर्देशित करेगा।
28 दिन के अंतराल पर लगेगी कोरोना की तीन डोज
डॉ. मनोज कुमार चौधरी ने बताया कि अभी देश में कोरोना के सर्वाधिक दो डोज वाले टीके का इस्तेमाल हो रहा है। कुछ वैक्सीन सिंगल डोज वाली भी हैं। जायकोव-डी देश का पहला टीका होगा, जिसकी तीन डोज हर 28 दिन के अंतराल पर लगेगी। टीके की पहली दो डोज से कोरोना के गंभीर लक्षणों के साथ मौत के खतरे को कम किया जा सकता है। तीन डोज लेने वाले व्यक्ति को संक्रमण के कारण मॉडरेट लक्षण से भी बचाव होगा।