लखनऊ
प्रदेश में सियासी बिसात बिछ चुकी है। सभी प्रमुख दलों ने इस पर खेलने के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। यात्राओं के बहाने माहौल बनाया जा रहा है और एजेण्डे सेट किए जा रहे हैं। कांग्रेस की यात्रा भी शनिवार से शुरू हो रही है। इस यात्रा के दौरान पार्टी अपने सॉफ्ट हिन्दुत्व के एजेण्डे को धार देगी। यात्राओं के दौरान नेताओं को मंदिरों के दर्शन करने के निर्देश भी हैं।
हालांकि इससे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी व पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मंदिरों के दर्शन, संगम में डुबकी, काशी विश्वनाथ, मां वैष्णोदेवी के दर्शन के साथ स्पष्ट संदेश दे चुके हैं कि उनके हिन्दू होने की प्रतिबद्धता को लोग कम न आंके लेकिन अब इसे पार्टी में निचले स्तर तक ले जाया जा रहा है। शनिवार से शुरू हो रही यात्राओं के दौरान प्रेस कांफ्रेस, नुक्कड़ नाटक, समाज के लोगों से मुलाकात, जनसभा, रोड शो, इन्फ्लुएंसर के साथ बैठक, सामाजिक संगठनों के साथ लंच डिनर करने की कार्ययोजना है। इसमें मंदिरों में दर्शन करने (टेम्पल विजिट) की भी बात है। संदेश साफ है कि कांग्रेस अब अपने साफ्ट हिन्दुत्व के एजेण्डे को लेकर चुनाव में उतरेगी।
प्रियंका गांधी ने 10 अक्तूबर को वाराणसी में सियासी अभियान की शुरुआत करने से पहले बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन किए, दुर्गाकुंड में जाकर मां कुष्मांडा की पूजा की। अपने भाषण की शुरुआत उन्होंने दुर्गा शप्तशती के मंत्र से की और फिर यह भी बताया कि वह नवरात्र का व्रत है। यह सब अनायास नहीं है। यह कांग्रेस की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। नवरात्रि के पहले दिन बहराइच जाते समय उन्होंने अर्जुनगंज स्थित घण्टी वाली मरी माता के मंदिर में पूजा करके आशीर्वाद लिया। इससे पहले फरवरी में जब वह सहारनपुर गई तो वहां हाथ में रुद्राक्ष की माला पकड़ कर चर्चाओं को जन्म दिया। वहां भी उन्होंने शाकुम्भरी देवी के दर्शन किए। अभी कुछ दिन पहले जब वह लखनऊ में धरने में बैठी तो उनकी रुद्राक्ष की माला गले में दिख रही थी। इस रणनीति को अब पार्टी नीचे उतारना चाह रही है और इस संदेश को जनता तक पहुंचाने का जिम्मा नेताओं को सौंपा गया है।