Sunday, May 28

नहीं टूटेगी पुरी की परंपरा, कोर्ट ने शर्तों के साथ जगन्नाथ यात्रा की इजाजत दी

नहीं टूटेगी पुरी की परंपरा, कोर्ट ने शर्तों के साथ जगन्नाथ यात्रा की इजाजत दी


भोपाल (न्यूज डेस्क) : पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने भगवान जगन्नाथ यात्रा की इजाजत देते हुए कहा कि लेकिन यात्रा में भक्त शामिल नहीं हो पाएंगे। कोर्ट ने कहा है कि मंदिर कमेटी राज्य सरकार और केंद्र सरकार के को-ऑर्डिनेशन में यात्रा निकालें। लेकिन लोगों की सेहत से समझौता नहीं होना चाहिए। अगर हालात बेकाबू होते दिखें तो ओडिशा सरकार यात्रा को रोक सकती है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुरी के अलावा ओडिशा में कहीं और यात्रा नहीं निकाली जाएगी।

हालांकि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को भगवान जगन्नाथ यात्रा पर रोक लगाने के आदेश दिए थे। इस पर केन्द्र सरकार की ओर से रिव्यू पिटीशन दायर कर कहा था कि भक्तों को शामिल किए बिना भगवान जगन्नाथ की यात्री निकाली जा सकती है। सरकार की ओर से कहा कि रथ यात्रा करोड़ों लोगों की आस्था का मामला है। भगवान कल यानि मंगलवार को बाहर नहीं आ पाए तो फिर 12 साथ तक नहीं निकल पाएंगे। क्योंकि भगवान जगन्नाथ यात्रा की यही परंपरा है। वहीं सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि एक दिन का कर्फ्यू लगाकर यात्रा निकाली जा सकती है। ओडिशा सरकार ने भी इसका समर्थन किया था कि कुछ शर्तों के साथ आयोजन हो सकता है। इस मामले में सरकार की याचिका से पहले भी 6 रिव्यू पिटीशन लग चुकी थीं।

शंकराचार्य ने की कोर्ट से अपील

पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने सुप्रीम कोर्ट से अपील करते हुए कहा था कि इस मामले में दोबारा विचार करें। उन्होंने पुरी मठ से जारी बयान में कहा किसी की यह भावना हो सकती है कि अगर इस संकट में रथयात्रा की परमिशन दी जाए तो भगवान जगन्नाथ कभी माफ नहीं करेंगे। लेकिन सदियों पुरानी परंपरा तोड़ी तो क्या भगवान माफ कर देंगे।

कब निकलती है जगन्नाथ यात्रा

जगन्नाथ रथयात्रा आषाढ़ शुक्ल द्वितीया से शुरू होती है। यह मुख्य मंदिर से शुरू होकर लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर में जाती है। जोकि भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है। जहां भगवान 7 दिन तक आराम करते हैं और आषाढ़ शुक्ल दशमी को रथयात्रा फिर जगन्नाथ के मुख्य मंदिर पहुंचती है। आषाढ़ मास में पुरी तीर्थ में स्नान करने से सभी तीर्थों के दर्शन का फल मिलता है और भक्तों को शिवलोक की प्राप्ति होती है।

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