भिलाई
इस्पात कर्मचारी को-आॅपरेटिव क्रेडिट सोसायटी सेक्टर-06 भिलाई नगर का चुनाव 28 नवंबर रविवार को इंग्लिश मीडियम स्कूल ए मार्केट सेक्टर-2 में होने जा रहा है। इस चुनाव में उतरे परिवर्तन पैनल के सदस्यों ने निवर्तमान कमेटी पर भ्रष्टाचार व अनियमितता बरतने के आरोप लगाए हैं। पैनल के सदस्यों का स्पष्ट आरोप है कि, सुरेश चंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने 30 करोड़ से अधिक की लेनदारी को मात्र 8 करोड़ में स्वीकार कर खुल्लमखुल्ला भ्रष्टाचार किया है और व्यक्तिगत हित के लिए सोसाइटी को करोड़ों की चपत लगाने की तैयारी है। हालांकि फिलहाल पंजीयक ने इनके इस नापाक प्रयास को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
पैनल ने यह भी कहा है कि दोबारा चुनाव में उतर रहे निवर्तमान अध्यक्ष सुरेशचंद जनवरी-23 में भिलाई स्टील प्लांट से रिटायर हो रहे हैं, ऐसी स्थिति में उनका चुनाव लड?ा स्वयं में एक प्रश्नचिन्ह है..? क्योंकि जनवरी 2023 के बाद न तो वे कमेटी के सदस्य रह सकते हैं न तो पदाधिकारी। सदस्यों ने आरोप लगाया कि करोड़ों के इस लेन देन को येन केन प्रकारेण अमलीजामा पहनाने के मकसद से बीएसपी में सेवा काल सीमित होने के बावजूद सुरेश चंद्र दोबारा चुनाव मैदान में उतरे हैं।
परिवर्तन पैनल की ओर से चुनाव मैदान में उतर रहे भिलाई स्टील प्लांट के कोक ओवन विभाग से बृजबिहारी मिश्र, मर्चेंट मिल से हरिराम यादव, ब्लास्ट फर्नेस से शैलेष कुमार सिंह व विनोद कुमार वासनिक सहित अन्य ने दस्तावेजों के साथ जारी बयान में कहा है कि सुरेशचंद की अध्यक्षता वाली कमेटी का कार्यकाल 8 मई 2016 से 7 मई 2021 तक रहा। इस कार्यकाल के दौरान कमेटी ने स्मृति गृह निर्माण संस्था को दिये गये ऋण अदायगी में भ्रष्टाचार का कुचक्र रचा गया है। उन्होंने बताया कि सोसायटी की कमेटी ने 10 दिसंबर 2020 को एक प्रस्ताव पारित किया कि स्मृति गृह निर्माण से 26.5 (अप्रैल 2019 की स्थिति में) करोड़ रुपए की राशि की वसूली के दौरान शासकीय बिक्री अधिकारी द्वारा 22 जून 2019 को जारी की गई निविदा सूचना के परिप्रेक्ष्य में कोई निविदा नही आई अत: स्मृति गृहनिर्माण समिति के अध्यक्ष के मौखिक निवेदन पर निर्णय लिया जाता है कि अगर स्मृति गृह निर्माण समिति वसूली किये जाने वाले 26.5 करोड़ ऋण के बदले सोसायटी को मात्र 8 करोड़ देती है तो संस्था हित में आपसी समझौता कर लिया जाए।
इसके बाद 6 जनवरी 2021 को दोनों संस्थाओं की कमेटी की संयुक्त बैठक हुई जिसमें दोनों संस्थाओं के कमेटी के सदस्य उपस्थित थे। इसमें सर्वसम्मत निर्णय लिया गया कि स्मृति गृह निर्माण समिति मात्र 8 करोड़ की राशि सोसायटी को 18 महीने के अंदर देगी और इस आधार पर समझौता अभिलेख बनाकर दोनों संस्थाओं के अध्यक्षों द्वारा संयुक्त रूप से न्यायालय पंजीयक सहकारी संस्थाएं, रायपुर के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। यह समझौता अभिलेख आज भी पंजीयक के यहां ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है।
परिवर्तन पैनल के मुताबिक सोसायटी के घाटे के इस समझौते में करोड़ों की "अंडरहैण्ड डीलिंग" का मामला था। सदस्यों ने बताया कि पंजीयक ने इस नियम विपरित अनियमित व अवैध समझौते पर अपनी मुहर लगाने से इंकार कर दिया तथा मामला सोसायटी के प्रबुद्ध सदस्यों को ज्ञात हुआ तो सोसायटी की इसी कमेटी ने 10 दिसंबर 2020 के विपरित प्रस्ताव पारित कर पंजीयक के समक्ष प्रस्तुत किया। जिस पर भी पंजीयक ने कोई संज्ञान नही लिया। सदस्यों ने कहा कि मामले में लीपा-पोती करने की मंशा से,भिलाई इस्पात संयंत्र में मात्र 1 साल की सेवा शेष होने के बावजूद, सुरेशचंद (तत्कालीन अध्यक्ष) दुबारा चुनाव लड?े पर आमादा है।
वस्तुत: सुरेशचंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने संस्था के हितों को ताक पर रखकर आज की तारीख में लगभग 31 करोड़ की लेनदारी को मात्र 8 करोड़ में स्वीकार कर लिया। ऐसी स्थिति में अधिकांश सदस्यों की मंशा है कि किसी भी हालत में पुरानी कमेटी को फिर से निर्वाचित नही करना चाहिए अन्यथा यह संस्था गर्त में चली जाएगी।
परिवर्तन पैनल ने कहा है कि पुरानी कमेटी का अपने पैर में कुल्हाड़ी मारने से ज्यादा मुर्खतापूर्ण इस कार्य को भिलाई इस्पात संयंत्र के अपने मतदाता सदस्यों के बीच उक्त सारी अनियमितताओं का खुलासा कर रहा है और मतदाता रविवार 28 नवंबर को इसका जवाब भी देंगे। सदस्यों ने बताया कि उनके पैनल से यूनिवर्सल रेल मिल से बेलदास तांडी व अमिताभ वर्मा, पावर एंड ब्लोइंग स्टेशन-2 से सुनील शर्मा, बार एंड रॉड मिल से पवन कुमार साहू, ऊर्जा प्रबंधन विभाग से विनोद कुमार मैत्रेय, इन्कॉस से नीरजा शर्मा व मेडिकल से इंद्रजीत कौर भी चुनाव मैदान में हैं।
परिवर्तन पैनल ने सदस्यों/अंशधारकों से अपील करते हुए कहा है कि, पूर्व कमेटी का यह दावा कि हमने एफ.डी.सोसाइटी की एफ.डी.की राशि को 0 से 23 करोड रुपए कर दिए हैं। वस्तुत: सोसाइटी की राशि बैंकों में जमा करना पूर्व संचालक मंडल की विफलता का परिचायक है। बैंकों में जमा 23 करोड़ (एफडी) की राशि अगर सदस्यों में ऋण के रूप में वितरित की गई होती तो प्रतिमाह संस्था को 23 लाख रुपए ब्याज के रूप में प्राप्त होते, यानि संचालक मंडल की अदूरदर्शिता के कारण संस्था को प्रतिवर्ष 2 करोड़ 76 लाख रुपए की शुद्ध हानि ऋण न वितरित कर पाने की वजह से हुई। पूर्व संचालक मंडल द्वारा कराया गया संस्था का तथाकथित कम्प्यूटरीकरण लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद फिसड्डी साबित हुआ। कर्मचारियों को दी जाने वाली ग्रेच्युटी की राशि एकाएक 3.5 लाख से बढ़ाकर 15 लाख रुपए करना,अनावश्यक और अपने चहेते कर्मचारियों को पहले प्रमोशन और फिर उन्हें स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) देना उपलब्धि नही बल्कि हजारों सदस्यों की गाढ़ी मेहनत की कमाई को लुटाना तथा वित्तीय बोझ बढ़ाने वाला है यही कारण है कि, समान व्यवहार करने वाली नगर की दूसरी को-आॅपरेटिव सोसायटी अपने अंशधारकों को 8 प्रतिशत से अधिक लाभांश देती है और इस्पात कर्मचारी सोसायटी बमुश्किल मात्र 5 प्रतिशत ही लाभांश देती है। प्रतिवर्ष संस्था के सदस्यों के लिए किये जाने वाले सामुहिक दुर्घटना बीमा पॉलिसी कमीशनखोरी और बंदरबांट का जरिया बन गया है। इससे संस्था पर प्रतिवर्ष लगभग 6 लाख रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ता है। पूर्व कमेटी ने विगत 5 वर्षों में जंगलराज का माहौल बनाकर संस्था को चलाने की एक नई परिपाटी बनाई,फलस्वरूप संस्था की सदस्यता में भारी कमी आई और अनेकों सदस्यों ने इस संस्था से सदस्यता छोड़कर अन्य सोसायटीज की सदस्यता करने लगे हैं।