रांची
झारखंड में पेजयल विभाग के सहायक अभियंताओं की नियुक्ति में गरीब सवर्णों को पिछली रिक्तियों में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट के अंतिम आदेश से प्रभावित होगा। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड सरकार और जेपीएससी को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में जो भी आदेश आएगा, उसका व्याप्क असर पड़ेगा। इसलिए मामले की सुनवाई में हर कानूनी पहलू पर व्यापक सुनवाई जरूरी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश में फिलहाल किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया, लेकिन इस मामले के अंतिम आदेश से नियुक्ति प्रभावित होने की बात कही। इस संबंध में उत्तम कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की है।
सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अदालत को बताया गया कि सरकार ने 2019 में नियुक्तियों में गरीब सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण देने का कानून बनाया है। आरक्षण का लाभ कानून बनने के बाद से होने वाली नियुक्तियों में ही लागू हो सकता है। लेकिन झारखंड सरकार ने 2015 से 2019 तक की सभी रिक्तियों में सवर्णों को आरक्षण देने का प्रावधान किया है, यह गलत है। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने कानून बनने के पहले की रिक्तियों में सवर्णों को आरक्षण देने के लाभ को गलत बताया था और सरकार के आदेश को निरस्त कर दिया था। सरकार को नियुक्ति के लिए फिर से विज्ञापन निकालने और वर्ष 2019 के बाद की रिक्तियों में ही सवर्णों को आरक्षण देने का निर्देश दिया था। एकलपीठ के इस आदेश के खिलाफ झारखंड सरकार ने हाईकोर्ट की खंडपीठ में अपील दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए सरकार के पिछली रिक्तियों में सवर्णों के आरक्षण के निर्णय को सही बताया था और एकलपीठ के आदेश को रद्द कर दिया था। खंडपीठ ने कहा था कि नियुक्ति प्रक्रिया जिस दिन से शुरू होती है, उसी समय का नियम लागू होता है। पहले की रिक्तियां भी नए नियम के तहत भरी जाती हैं। अदालत ने सरकार के निर्णय को सही ठहाराया और जेपीएससी को नियुक्ति प्रक्रिया जारी रखने का निर्देश दिया था।
खंडपीठ के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश को उत्तम कुमार उपाध्याय एवं अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए विशेष अनुमति याचिका दायर की है। याचिका में हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश को रद्द करने का आग्रह किया गया है। बुधवार को इसी याचिका पर सुनवाई की गई।