Saturday, July 27

पाकिस्‍तान की इमरान खान सरकार के लिए तालिबानी आतंकी भस्‍मासुर बन गए हैं

पाकिस्‍तान की इमरान खान सरकार के लिए तालिबानी आतंकी भस्‍मासुर बन गए हैं


इस्‍लामाबाद
अफगानिस्‍तान में अशरफ गनी की सरकार को हटाने में दिल खोलकर मदद करने वाले पाकिस्‍तान के लिए तालिबानी आतंकी भस्‍मासुर बन गए हैं। एक तरफ जहां तालिबान का पालतू टीटीपी पाकिस्‍तानी सैनिकों की हत्‍या कर रहा है, वहीं दूसरी ओर तालिबानी सरकार अब डूरंड लाइन पर 30 नई सैन्‍य चौकियां बनाने जा रही है। तालिबान का मकसद पाकिस्‍तानी सैनिकों के अफगानिस्‍तान की सीमा में घुसने से रोकना है।

यही नहीं तालिबान ने ऐलान किया है कि वह पाकिस्‍तान और अफगानिस्‍तान की सीमा को अलग करने वाली डूरंड लाइन को भी नहीं मानता है। पाकिस्‍तानी मीडिया के मुताबिक तालिबानी अफगानिस्‍तान में दी गई पाकिस्‍तानी सेना की मदद को भी स्‍वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। अफगानिस्‍तान में जब तालिबानी शासन आया था, उस समय पाकिस्‍तान ने जमकर जश्‍न मनाया था लेकिन वही तालिबानी अब पाकिस्‍तान के लिए नासूर बनते जा रहे हैं। इमरान खान ने तो तालिबानी जीत को अपनी जीत के रूप में लिया था।

टीटीपी आतंकी हर रोज खून बहा रहे, डूरंड लाइन पर तनाव
पाकिस्‍तानी पत्रकार हामिद मीर के मुताबिक तालिबान राज आने के बाद इमरान खान सरकार ने अपेक्षा की थी कि पाकिस्‍तान की मदद के बदले में तालिबान दो चीजें करेंगे। पहला- बलूच विद्रोही और टीटीपी आतंकी जो अफगानिस्‍तान में सक्रिय हैं, वे आत्‍मसमर्पण करेंगे। दूसरा- दोनों देशों के बीच लंबे समय से चला आ रहा सीमा विवाद सुलझेगा लेकिन दोनों में से कोई भी अपेक्षा पूरी नहीं हुई। एक तरफ टीटीपी आतंकी हर रोज खून बहा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर डूरंड लाइन को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है।

माना जा रहा है कि इसी वजह से अभी तक पाकिस्‍तान ने तालिबान सरकार को मान्‍यता नहीं दी है। पाकिस्‍तान सरकार सातवीं बार टीटीपी से वार्ता करना चाहती थी लेकिन तालिबान के हस्‍तक्षेप के बाद भी यह फेल हो गई। बताया जा रहा है कि टीटीपी तालिबान के रास्‍ते पर चलते हुए पाकिस्‍तानी सेना से अपने बंदी बनाए गए लड़ाकुओं को छोड़ने के लिए कह रही है। यही नहीं टीटीपी ने यह भी शर्त रखी है कि तालिबान की तरह से किसी तीसरे देश में एक राजनीतिक कार्यालय खोलने दिया जाए।

भारत के साथ दोस्‍ती बढ़ा रहा तालिबान
सबसे समस्‍या वाली मांग यह है कि पूरे पाकिस्‍तान में कट्टर शरिया कानून लागू किया जाए। टीटीपी की इस मांग का मतलब यह है कि वे पाकिस्‍तान के वर्तमान संविधान को नहीं मानते हैं। टीटीपी आतंकी लगातार अफगानिस्‍तान से आकर पाकिस्‍तानी सैनिकों की हत्‍या कर रहे हैं लेकिन तालिबान उनके खिलाफ कोई ऐक्‍शन नहीं ले रहा है। उधर, तालिबान ने वर्तमान पाकिस्‍तान-अफगानिस्‍तान सीमा को भी मानने से इंकार कर रहा है। तालिबानी आतंकियों ने पिछले दिनों पाकिस्‍तान की ओर से लगाई जा रही सीमा बाड़ को उखाड़कर फेंक दिया था।

अब तालिबान ने ऐलान किया है कि वह सीमा पर 30 नई सैन्‍य चौकियां बनाएगा ताकि पाकिस्‍तानी सैनिकों की घुसपैठ को रोका जा सके। दरअसल, अमेरिका के वापस जाने के बाद तालिबान को अब यह घंमड आ गया है कि जब दुनिया की सबसे बड़ी ताकत को हराया जा सकता है, तो पाकिस्‍तान सेना क्‍या चीज है। तालिबान पाकिस्‍तान पर भरोसा नहीं करता है। इससे पहले भी तालिबान और पाकिस्‍तान एक-दूसरे के साथ डबल गेम खेल चुके हैं। अब तालिबान भारत और ईरान के साथ दोस्‍ती बढ़ा रहा है। हाल ही में भारत ने अफगानिस्‍तान को कई सौ टन गेहूं देने का ऐलान किया है। यही नहीं भारत अफगानिस्‍तान को 200 करोड़ रुपये की मदद भी देने जा रहा है।

पाकिस्‍तान के लिए भारत से रिश्‍ते नहीं करेंगे खराब: तालिबान
तालिबान सरकार के प्रवक्‍ता और उप सूचना और संस्‍कृति मंत्री जबीउल्‍ला मुजाहिद ने पिछले दिनों कहा था कि वे पाकिस्‍तान और भारत दोनों के ही साथ अच्‍छे रिश्‍ते बनाना चाहते हैं। उन्‍होंने उन अटकलों पर भी विराम लगा दिया जिसमें कहा जा रहा था कि पाकिस्‍तान के अनुरोध पर तालिबान भारत के साथ दोस्‍ताना रिश्‍ते नहीं बनाएगा। मुजाहिद ने कहा कि यह समय पड़ोसी देशों के साथ रिश्‍ते बेहतर बनाने का है। तालिबानी प्रवक्‍ता ने दावा किया कि भूतकाल में पाकिस्‍तान के साथ इसलिए अच्‍छे रिश्‍ते नहीं बन पाए क्‍योंकि दुष्‍प्रचार के कारण अधिकारी नहीं चाहते थे। उन्‍होंने पाकिस्‍तान से अनुरोध किया कि वे क्षेत्र के अन्‍य देशों के साथ समृद्धि के रास्‍ते पर आगे बढ़ें।

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