साइटिका वास्तव में महज एक समस्या के लिए सम्बोधित किया जाने वाला शब्द नहीं है। इसकी बजाय यह कई समस्याओं के लक्षण के समूह के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला चिकित्सकतीय शब्द है। साइऐटिक नर्व लोअर बैक से निकलती है जो कि पैरों से नीचे की ओर जाती है और इसके बाद पांव की कई शाखाओं तक पहुंचती है। साइटिक नर्व के जरिये ही पांव में उत्तेजना और मसल्स में हलचल महसूस की जाती है। साइऐटिका की असली वजह जलन और पीठ पर पड़ रहे दबाव में छिपी है। ऐसा होने से साइऐटिक नर्व में अत्यधिक दर्द होने लगता है। ऐसा असल में मेरुदण्ड यानी स्पाइन में चोट लगने से या फिर स्लिप डिस्क के कारण होता है। इसके अलावा कई बार कमजोरी के कारण भी साइऐटिका की समस्या देखने को मिलती है। साइऐटिका के साथ साथ पीठ में दर्द हो, ऐसा जरूरी नहीं है। यह दर्द कई बार सिर्फ एक पैर तक भी पहुंच सकता है। बहरहाल गर्भावस्था के दौरान महिलाएं अकसर साइऐटिका के रूबरू होती हैं। लेकिन इससे सम्बंधित तमाम समस्याएं गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के जहन में कौंधते हैं। यहां हम इसी पर चर्चा करेंगे।
एक ही पोजिशन में न बैठें
गर्भवती होने का मतलब साइऐटिका होना नहीं है। असल में गर्भधारण का साइऐटिका से कोई सम्बंध नहीं है। हालांकि गर्भधारण के दौरान पैल्विक और कमर में दर्द होना आम बात है। इनके लक्षण भी साइऐटिका जैसे ही नजर आते हैं। लेकिन जैसा कि पहले ही जिक्र किया जा चुका है कि साइऐटिका स्लिप डिस्क के कारण होता है। अत: गर्भावस्था के दौरान साइऐटिका हो, यह कतई जरूरी नहीं है। शिशु के नर्व पर दबाव डालने के कारण भी साईटिका नहीं होता। स्पाइन में सूजन के कारण साइऐटिका हो सकता है। आपको यह भी बताते चलें कि गर्भावस्था का मतलब किसी तरह के दर्द को न्योता देना भी नहीं है। खासकर साईटिका का तो बिल्कुल नहीं है। कई बार घंटों बैठे रहने के कारण भी साईटिका हो सकता है। अत: गर्भावस्था के दौरान एक ही पोजिशन में घंटों कतई न बैठें और सक्रिय बने रहें ताकि किसी भी तरह का दर्द आपको अपने चपेटे में न ले सके।
कैसे पता चले
यदि आपको तीव्र दर्द हो, जलन हो जो कि बार बार आता-जाता है तो समझें कि ये साईटिका के लक्ष्ण हैं। इसके अलावा यह अकसर एक ही अंग विशेष को प्रभावित करता है। निचले कमर में काफी ज्यादा दर्द का एहसास होता है। साथ ही जांघ में, पैरों के निचले हिस्से में भी दर्द बना रहता है। कई दफा साईटिका में दर्द नितंब तक पहुंच जाता है और विकराल रूप भी धारण कर सकता है। पैरों में सिहरन के साथ साथ पिन चुभने का एहसास भी इसमें सामान्य होता है। यह भी जान लें कि साइऐटिका बेहद थकाऊ होता है और इसमें स्थायी रूप से दर्द बना रहता है।
साइटिका का समाधान
साइटिका के विषय में जानने के लिए किसी सामान्य व्यक्ति पर भरोसा न करें। बेहतर होगा कि फिजियोथैरेपिस्ट से सीधे सीधे संपर्क करें। फिजियोथैरेपिस्ट पेल्विक फ्लोर, टमी मसल्स और पीठ को मजबूत बनाने के लिए कुछ एक्सरसाइज दे सकते हैं। साथ ही साइटिका से निपटने के लिए सही पोस्चर पर भी जोर दिया जाता है। गर्भावस्था के दौरान यह सब और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। इस दौरान नर्व के फंक्शन पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। आधे से भी ज्यादा साइटिका के मरीज दस से बारह दिनों में ठीक होने लगते हैं। इसे पूरी तरह ठीक होने में अधिकतम 4 से 12 सप्ताह तक लग सकते हैं। साइऐटिका के दर्द से राहत के लिए पेन किलर लिया जा सकता है। पैरासिटामोल इसका बेहतरीन विकल्प है। लेकिन ध्यान रखें कि किसी भी प्रकार की दवाई लेने से पहले फिजियोथैरेपिस्ट से अवश्य संपर्क करें। गर्भावस्था के दौरान ईबुप्रोफेन लेने की सख्त मनाही होती है। खासकर यदि आप अपने पहले तिमाही से गुजर रही हैं।