नई दिल्ली
एक के बाद एक चुनावी हार से जूझ रही कांग्रेस अब न्याय योजना से आगे निकल चुकी है। पार्टी मतदाताओं का भरोसा जीतने के लिए हर मुमकिन दांव खेलने को तैयार है। यूपी में पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के लड़कियों को स्मार्ट फोन और स्नातक में स्कूटी देने के ऐलान को पार्टी की नई चुनावी रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने जिस तरह प्रियंका के ऐलान का समर्थन किया है, उससे साफ है कि दूसरे चुनावी राज्यों में भी पार्टी न्याय योजना से आगे बढ़कर इस तरह के चुनावी वादे करेगी। प्रियंका ने अपने ऐलान में यूपी कांग्रेस के निर्णय से शुरुआत की थी, पर राहुल ने देश की बेटी कहकर संबोधित किया है। इसके साथ यूपी को सिर्फ शुरुआत बताया है।
महिला मतदाताओं पर पार्टी की नजर
प्रियंका गांधी वाड्रा ने जिस तरह यूपी में चुनावी घोषणाएं की हैं, इससे साफ है कि पार्टी की नजर महिला मतदाताओं पर है। महिला मतदाताओं में भाजपा की पकड़ बहुत मजबूत है। इसमें उज्जवला योजना की भूमिका काफी अहम है। ऐसे में कांग्रेस की कोशिश है कि किसी तरह महिला मतदाताओं में अपनी पैठ बनाई जाए। प्रियंका यही प्रयास कर रही हैं। पंजाब में मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालने के बाद चरणजीत सिंह चन्नी ने कई ऐसी घोषणाएं की हैं, जिनको लेकर पार्टी के अंदर आवाज उठती रही है। पर पार्टी नेतृत्व खुलकर उनका समर्थन कर रहा है। इससे साफ है कि पार्टी न्याय योजना का दायरा बढ़ा रही है। पार्टी न्याय से आगे निकल गई है और मतदाताओं को सीधे फायदा पहुंचाकर भरोसा जीतना चाहती है।
यूपी के साथ जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं, वहां 2019 के लोकसभा चुनाव में महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया है। सीएसडीएस के आंकडों के मुताबिक, यूपी में पुरुषों ने 57 जबकि महिलाओं ने 57.7 फीसदी मतदान किया। उत्तराखंड में भी महिलाएं आगे रहीं। वहां पुरुषों ने 58.7 जबकि महिलाओं ने 64.4 फीसदी वोट किया। मणिपुर में 81.3 फीसदी पुरुषों और 84.1 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया। वहीं, गोवा में भी महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले करीब तीन फीसदी ज्यादा था। सिर्फ पंजाब में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का मतदान प्रतिशत करीब एक फीसदी कम था।
पहली बार लोकसभा चुनाव 2019 में किया था ‘न्याय’ का वादा
पार्टी अभी तक चुनाव में न्याय योजना को लागू करने का वादा करती रही है। इस सामाजिक कल्याण कार्यक्रम के तहत पार्टी लाभार्थी परिवार को हर माह छह हजार रुपये नकद यानी 72 हजार रुपये साल देने का वादा करती रही है। पार्टी ने पहली बार 2019 के लोकसभा चुनाव में यह वादा किया था, पर इस वादे पर पार्टी मतदाताओं का भरोसा जीतने में नाकाम रही।