Saturday, July 27

जंगल छोड़ इंसानों के बीच लौट आया रियल लाइफ मोगली, सूट-बूट पहनकर चल निकला स्कूल 

जंगल छोड़ इंसानों के बीच लौट आया रियल लाइफ मोगली, सूट-बूट पहनकर चल निकला स्कूल 


रवांडा
अफ्रीका में एक देश है, नाम है रवांडा और रवांडा के रियल लाइफ मोगली की कहानी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो रही है। इस रियल लाइफ मोगली का नाम है, जंजीमन एली, जिसके ट्रांसफॉर्मेशन की कहानी हर अखबारों में सूर्खियां बन चुकी है। कुछ समय पहले तक जंजीमन एली इंसानों के साथ नहीं, बल्कि जानवरों के साथ दंगल में रहता था और लोग उसे रियल लाइफ मोगली कहकर बुलाते थे, लेकिन अब वो पूरी तरह से बदल चुका है। रियल लाइफ मोगली की कहानी पूर्वी अफ्रीका के रवांडा के एक जंगल में रहने वाले 21 साल के जंजीमन एली की कहानी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो चुकी है।

 जंजीमन एली की हरकतें, उसका रहन सहन और उसका बात व्यवहार, इंसानों से पूरी तरह अलग है और उसकी वजह से उसका सालों तक जंगल में रहना। बचपन से ही जंजीमन एली के दोस्त जानवर थे, लिहाजा एली की हरकतें भी इंसानों से अलग जानवरों जैसी हैं। हालांकि, अब जाकर जंजीमन एली के जीवन में परिवर्तन होना शुरू हो चुका है और अब वो नॉर्मल इंसानों जैसा बनने लगा है। 

1999 में हुआ 'मोगली' का जन्म ब्रिटिश अखबार के मुताबिक, रियल लाइफ मोगली के नाम से प्रसिद्ध जंजीमन एली का जन्म 1999 में हुआ था और पैदा होने के बाद ही वो माइक्रोसेफली नाम की बीमारी से पीड़ित हो गया। इस खतरनाक बीमारी ने एली के चेहरे को खराब कर दिया और वो दूसरे बच्चों से अजीब दिखने लगा। जंजीमन एली का सिर उसके बाकी शरीर के मुकाबले छोटा रह गया, जिसकी वजह से जब वो थोड़ा बड़ा हुआ, तो बाकी बच्चे उसका मजाक उड़ाने लगे। रोग नियंत्रण केंद्र के अनुसार, माइक्रोसेफली एक ऐसी बीमारी है, जो जन्म के समय किसी व्यक्ति के सिर के आकार को प्रभावित करती है। 

बचपन में बनाया जाता था मजाक जंजीमन एली अपने 6 भाई-बहनों में सबसे छोटा था और बचपन से ही गांव के लोग उसका खूब मजाक उड़ाने लगे, जिसकी वजह से उसकी मां उसे जंगल में ले जाने लगी, जहां वो घास-फूस खाने लगा और वो धीरे धीरे वहां पर जानवरों के साथ दोस्ती करने लगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एली के जन्म से पहले उनकी मां ने अपने पांच बच्चों को खो दिया था। एली की मां ने बताया कि कैसे एली असमान्य चेहरे की वजह से लोग मजाक उड़ाते थे और उसे तंग किया करते थे। जंजीमन एली सुनने और बोलने में असमर्थ होने की वो कभी औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूल नहीं गया। 

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