Saturday, July 27

बिरसा मुंडा की जयंती पर हर साल मनाया जाएगा यह विशेष दिवस

बिरसा मुंडा की जयंती पर हर साल मनाया जाएगा यह विशेष दिवस


नई दिल्ली
हाल ही में नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित करने को मंजूरी दी। यह दिन कई मायनो में बेहद खास है। दरअसल, 15 नवंबर को स्वतंत्रता संग्राम के कई नायक बिरसा मुंडा का जन्मदिवस है। इन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ जनजातीय समूह को एकजुट करने और अपनी आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया। इन्हें लगातार आंदोलनों ने अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था। पूरे देश में लोग बिरसा मुंडा को धरती बाबा के रूप में जानते हैं। विशेष रूप से, बिहार और झारखंड में लोग बिरसा मुंडा को भगवान की तरह पूजते हैं। अब उनकी जयंती को हर साल बतौर जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
 

बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को मे एक गरीब किसान परिवार में हुआ था। जो जनजातीय समूह मुंडा से संबंध रखते थे और झारखण्ड निवासी थे। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा चाईबासा के एक विद्यालय में हुई, लेकिन हमेशा से ही उनके मन में अपनी धरती मां के लिए कुछ करने की थी। बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश औपनिवेशिक व्यवस्था की शोषक व्यवस्था के खिलाफ महत्वपूर्ण योगदान दिया था। 1 अक्टूबर 1894 को वह एक प्रखर नेता के रूप में उभरे और उन्होंने सभी मुंडाओं को इकट्ठा कर अंग्रेजो से लगान माफी के लिये आन्दोलन किया। इस आंदोलन ने अंग्रेजों को हिलाकर रख दिया। इसके बाद उन्हें 1895 में गिरफ़्तार कर हजारीबाग केन्द्रीय कारागार में दो साल के कारावास की सजा दी गयी। उन्होंने अपने जीवन काल में ही महापुरुष की उपाधि प्राप्त कर ली थी। उन्हें लोग धरती बाबा कहकर पुकारते थे। आखिरकार 9 जून 1900 को रांची के जेल में अंग्रेजों द्वारा जहर देने के बाद बिरसा मुंडा ने अपनी आखिरी सांस ली थी।
 
आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों की याद में जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाएगा। यह आने वाली पीढ़ियों को भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा किए गए बलिदानों से अवगत कराएगा। इसके अलावा, जनजातीय गौरव दिवस को मनाने से देश आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक विरासत और गौरवशाली इतिहास को सदियों तक याद रखेगा।
 

इस दिन को मनाने के लिए, भारत सरकार एक साप्ताहिक सेलिब्रेशन की शुरूआत करेगी, जिसमें आदिवासी लोगों के 75 साल के गौरवशाली इतिहास को याद किया जाएगा। यह 15 नवंबर से शुरू होकर 22 नवंबर 2021 को खत्म होगा। इस खास दिन पर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा कई तरह की गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। साथ ही इस दिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासियों की उपलब्धियों को प्रदर्शित की जाएगी। साथ ही सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा, स्किल डेवलपमेंट और बुनियादी ढांचे से जुड़ी कई पहल की जाएंगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *