रायपुर । (अमित तिवारी) छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का शुक्रवार दोपहर निधन हो गया । वे 74 साल के थे । अजीत जोगी लम्बे समय से बीमार चल रहे थे । उन्होंने रायपुर के नारायणा अस्पताल में अंतिम सांस ली । उनके निधन की खबर मिलते ही पूरे प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई।
09 मई से अस्पताल में थे भर्ती
अजीत जोगी 9 मई को सुबह करीब 11 बजे अपने लॉन में व्हीलचेयर के माध्यम से टहल रहे थे। इसी दौरान उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ था । जोगी की स्थिति खराब होने के बाद राजधानी रायपुर के देवेंद्र नगर स्थित नारायणा अस्पताल में भर्ती कराया गया था । तभी से उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई थी। वह 15 दिनों से कोमा में थे । इस दौरान देशभर के अलग-अलग अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टरों से टेली कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मेडिकल सलाह भी ली जा रही थी। उन्हें लगातार वेंटिलेटर के माध्यम से सांस दी जा रही थी, तो वहीं उनके ब्रेन को एक्टिव करने के लिए म्यूजिक थेरेपी का भी सहारा लिया गया था ।
बेटे अमित ने ट्वीट कर जताया दुख
अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी ने ट्वीट कर उनके निधन की जानकारी दी। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा कि 20 वर्षीय छत्तीसगढ़ राज्य के सिर से आज उसके पिता का साया उठ गया। केवल मैंने ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ ने नेता नहीं, अपना पिता खोया है।
शनिवार को अंतिम संस्कार
अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी ने ट्विटर पर पूर्व सीएम की मौत की खबर की पुष्टि की। उन्होंने यह भी बताया कि अंतिम संस्कार शनिवार को अजीत जोगी के जन्म स्थान गोरैला में होगा।
छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने जोगी
दिवंगत अजीत जोगी की जन्म 29 अप्रैल 1946 को बिलासपुर जिले में हुआ था । राजनेता बनने से पहले वे आईएएस ऑफिसर भी रहे। स्व. राजीव गांधी के संपर्क में आने के बाद उनका राजनीति में पदार्पण हुआ। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ के गठन के समय वे पहले मुख्यमंत्री बनें। 2003 तक छत्तीसगढ़ के नए राज्य बनने के बाद, पहले मुख्यमंत्री का पद अजीत जोगी ने संभाला । यह राज्य विधायिका के लिए निर्वाचित होने के अलावा संसद के दोनों सदनों के सदस्य भी रह चुके है ।
रोचक तथ्य
एक राजनेता से अलग छवि बनाते हुए अजीत जोगी ने अपनी पहचान लेखक के तौर पर ‘दा रोल ऑफ डिस्ट्रीक कलेक्टर’ और ‘एडमिनिस्ट्रेशन ऑॅफर पेरीफेरल एरियाज’ जैसी किताबें भी लिख चुके है। इतना ही नहीं यह भोपाल के मौलाना आजाद कॉलेज में मैकनिकल इंजिनियरिंग में गोल्ड मेडेलिस्ट रह चुके है । साथ ही आईएएस के तौर पर इन्होंने 1981-85 तक इंदौर के जिला कलेक्टर के तौर पर अपनी सेवाएं भी दे चुके हैं ।