Thursday, November 7

अब बच्चे सोशल मीडिया का यूज बगैर माता-पिता की मंजूरी नहीं कर पाएंगे

अब बच्चे सोशल मीडिया का यूज बगैर माता-पिता की मंजूरी नहीं कर पाएंगे


 नई दिल्ली 
सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव से बच्चों को बचाने की दिशा में ऑस्ट्रेलिया ने दुनियाभर में सबसे सख्त कदम उठाया है। ऑस्ट्रेलिया ने नया विधेयक तैयार किया है जिसके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए 16 साल से कम उम्र के बच्चों को अनुमति देने से पहले माता-पिता से मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। इस विधेयक के संसद से पास होते ही फेसबुक और इंस्टाग्राम समेत अन्य सोशल मीडिया कंपनियां यूजर्स की उम्र का सत्यापन करने और अभिभावकों से मंजूरी लेने के लिए बाध्य हो जाएंगी।

ऑस्ट्रेलियाई सरकार की ओर से प्रकाशित विधेयक के मसौदे के मुताबिक कानून का उल्लंघन कर बच्चों को अनुमति देने वाली कंपनियों को एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री के असिस्टेंट मानसिक स्वास्थ्य एवं आत्महत्या निषेध मंत्री डेविड कोलमैन के मुताबिक नया विधेयक सोशल मीडिया कंपनियों से बच्चों को बचाने में पूरी दुनिया को राह दिखाएगा। यह बदलाव फेसबुक की मैनेजर फ्रांसेस हौजेन के उस बयान के बाद हुआ जिसमें उन्होंने कहा था कि-जनहित और कंपनी हित में टकराव की स्थिति में उनकी कंपनी अपने हित को प्राथमिकता देगी। गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया इंटरनेट पर नियंत्रण के लिए अंतरराष्ट्रीय नियामक के गठन की अपील करता रहा है। इसके पहले यहां की संसद कानून पास करके गूगल और फेसबुक को न्यूज सामग्री के लिए भुगतान करने को बाध्य कर चुकी है।

 

नया विधेयक बच्चों पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम करने और निजता की रक्षा को पुख्ता करने के लिए लाया गया है। ऑस्ट्रेलिया में तनाव और अन्य मानसिक बीमारियों के चपेट में आने वाले बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मंत्री कोलमैन ने कहा कि इसका कोई एक कारण नहीं है, लेकिन इतना पक्का है कि सोशल मीडिया भी एक वजह है। अटॉर्नी जनरल माइकलिया कैश ने कहा-ऑस्ट्रेलियाई लोग बड़ी कंपनियों को दिए गए निजी डाटा की सुरक्षा के प्रति चिंतित रहते हैं, नया विधेयक यह सुनिश्चित करेगा की कंपनियां डाटा और निजता के प्रति अधिक जिम्मेदार बनें।

फेसबुक की प्रतिक्रिया :

ऑस्ट्रेलिया के नये विधेयक पर फेसबुक की क्षेत्रीय नीति निदेशक मिया गार्लिक ने कहा कि उनकी कंपनी हमेशा से निजता कानून का समर्थन करती रही है। गार्लिक ने कहा-बच्चों के डाटा को लेकर हम अंतरराष्ट्रीय नियमन का समर्थन करते हैं जैसे कि ब्रिटेन का एज एप्रोपिएट डिजाइन कोड।
सख्ती बरतने वाले अन्य प्रमुख देश

ब्रिटेन:

ब्रिटेन ने इस साल सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने वाला विधेयक पेश किया। इसके तहत सोशल मीडिया पर जारी सामग्री के बच्चों के लिए नैतिक, शरीरिक या मानसिक रूप से अहितकारी होने की स्थिति में यूजर्स की उम्र की पहचान करना जरूरी है।

चीन:

चीन में सोशल मीडिया पर 16 साल से कम बच्चों के लाइव स्ट्रीमिंग प्रतिबंधित है। बच्चों की ऑनलाइन वीडियो कंटेंट तक पहुंच पर रोक लगाई गई। इसके अलावा सभी तक के सोशल मीडिया सामग्री पर कड़ी नजर रखी जाती है।

अमेरिका:

अमेरिका में चिल्ड्रेन ऑनलाइन प्राइवेसी एक्ट वर्ष 1998 से लागू है। यह कानून बच्चों की निजता और उनके डाटा की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है। यह कानून जब बना था तब फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकर बर्ग केवल 14 साल के थे। अमेरिका ने इसी कानून के तहत इस साल ब्राउजिंग एक्टिविटी के आधार पर बच्चों की प्रोफाइलिंग करने के लिए यूट्यूब पर 17 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाया गया। हालांकि कानून को और सख्त करने की मांग की जा रही है।

भारत में सख्ती की तैयारी:

भारत में पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन विधेयक तैयार किया गया है जिसमें बच्चों की निजता और डाटा को लेकर प्रावधान किए गए हैं। लेकिन बच्चों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए कोई सख्त नियम नहीं है। नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (एनसीपीसीआर) की ओर से कराए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि भारत में 10 साल से कम 37.8 फीसदी बच्चों के पास खुद का फेसबुक अकाउंट और 24.3 फीसदी के पास इंस्टाग्राम अकाउंट है। इंटरनेट पर बड़ी संख्या में बच्चों का निजी डाटा भी साझा किया जाता है, जिससे उनकी निजता और सुरक्षा को खतरा है। यूनिसेफ के मुताबिक दुनिया के हर तीन इंटरनेट यूजर्स में एक बच्चा है।

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