Saturday, July 27

स्वच्छता सर्वेक्षण में पिछड़ने के बाद समीक्षा का दौर शुरू

स्वच्छता सर्वेक्षण में पिछड़ने के बाद समीक्षा का दौर शुरू


भोपाल
निगम सालाना 20 करोड़ रुपए स्टॉर्म वाटर ड्रेन नेटवर्क डेवलपमेंट और मेंटेनेंस पर खर्च करता रहा है। इसके बाद भी स्वच्छता सर्वे में निगम के वॉटर प्लस के नंबर कटे। स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में पिछड़ने के बाद अब नगर निगम में समीक्षाओं का दौर शुरू हो गया है। इसके चलते गत दिवस झील संरक्षण प्रकोष्ठ की वर्किंग पर भी चर्चा की गई।

स्वच्छता सर्वे में भोपाल खिसक कर निचले पायदान पर पहुंच गया है। गौरतलब है कि वाटर प्लस सर्वे में भोपाल के नंबर कटे हैं, जबकि  निगम सालाना 20 करोड़ रुपए स्टॉर्म वाटर ड्रेन नेटवर्क डेवलपमेंट और मेंटेनेंस पर खर्च करता है।  साथ ही बारिश पूर्व नालों की सफाई में 20 लाख रुपए से ज्यादा खर्च होते हैं। इसके बावजूद हर साल मानसूनी सीजन में जलभराव की स्थिति बनती है। नाले-नालियां उफान पर होते हैं। इससे गली-मोहल्ले, कॉलोनी और सड़कें सब तालाब में तब्दील हो जाती हैं।  स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में हाईवे पर स्थित ढाबों का गुरुवार को जिला पंचायत की टीम द्वारा निरीक्षण किया गया। ढाबा  संचालकों को स्वच्छता बनाए रखने और कचरे के व्यवस्थित निपटान के लिए निर्देशित किया गया। ढाबों से निकलने वाले गीले और सूखे अपशिष्टों को अलग रखने के लिए समझाइश दी गई। टीम द्वारा परवालिया, डोबरा, विदिशा हाईवे और बैरसिया रोड स्थित ढाबों का निरीक्षण किया गया। इसके साथ ही ऐसे ढाबे जहां स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। उन्हें स्टार रेटिंग दी जाकर स्वच्छ ढाबे के रूप में चिह्नित किया गया है।

15 साल में 130 करोड़ रु.की दिक्कत
हैरानी की बात यह है कि अब तक शहर के 789 छोटे-बड़े नालों का चैनलाइजेशन पिछले 15 सालों के दौरान 130 करोड़ रुपए खर्च होने के बाद भी नहीं हो सका है। निगम  के अधिकारियों का कहना है कि चैनलाइजेशन का काम 80 फीसद पूरा हो चुका है, लेकिन यह काम अगर पूरा हो गया होता तो स्वच्छता सर्वेक्षण में भोपाल को अच्छे नंबर मिलते। स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम ने जब जनता से फीडबैक लिया तो सामने आया कि घरों का सीवेज अब भी सीधे जल स्त्रोतों में सीधे ही मिल रहा है।

14 साल बाद भी नहीं हो पाया नालों का चैनेलाइजेशन
शहर में छोटे-बड़े 789 नालों सहित मुख्य पांच नालों के चैनेलाइजेशन प्रोजेक्ट को भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने 26 मई 2006 को मंजूरी दी थी। योजना के तहत संजय नगर, शाहपुरा, स्लाटर हाउस, पातरा व साउथ टीटी नगर के सात हजार 250 मीटर लंबे नालों का चैनेलाइजेशन 30 करोड़ 57 लाख रुपए की लागत से कराया जाना था। बड़े नालों का चैनेलाइजेशन करने के बाद इनमें छोटे नालों को कनेक्ट किया जाना था। चैनेलाइजेशन के तहत नालों की कांक्रीट लाइनिंग के जरिए डिजाइन इंबेकमेंट निर्माण शुरू हुआ, लेकिन 14 साल बाद भी काम पूरा नहीं हो सका है।

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